सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि विकास का लाभ हर किसी को मिले-वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

वाराणसी से सुरभी चतुर्वेदी की रिपार्ट

सुरभी चतुर्वेदी।


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वित्त मंत्री ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के छात्रों के साथ किया संवाद

ग्रामीण युवाओं का कौशल विकास व उनका प्रशिक्षण तथा नए स्टार्टअप आइडियाज़ को प्रोत्साहित व मदद करना ग्रामीण रोजगार चुनौतियों के समाधान में अहम-वित्त मंत्री

“बीएचयू है एक अनूठा संस्थान, क्योंकि विद्यार्थी यहां किताबी ज्ञान के साथ साथ जीवन मूल्यों व सिद्धांतों की भी पाते हैं शिक्षा”

विद्यार्थियों को समाज व देश में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए तैयार करने हेतु नए अवसर सृजित करने को प्रतिबद्ध है बीएचयू-कुलपति प्रो.  सुधीर कुमार जैन वाराणसी। केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत सरकार अपनी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से यह सुनिश्चित कर रही है, कि सबके विकास का लक्ष्य हासिल किया जा सके। वह रविवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सामाजिक विज्ञान संकाय के अर्थशास्त्र विभाग में विद्यार्थियों के साथ "भारत को एक आर्थिक वैश्विक शक्ति बनाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य और रणनीति" विषय पर संवाद कर रही थीं। छात्रा प्रतीक्षा शुक्ला, द्वारा ग्रोथ बनाम इक्विटी (सब तक विकास का लाभ पंहुचे) विषय पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार समान विकास के मुद्दे पर अधिक जोर दे रही है। “आप सबके विकास की कीमत पर निरन्तर विकास की बात नहीं कर सकते। जब तक निजी और सार्वजनिक निवेश एक साथ नहीं होते हैं, तब तक ऐसे नतीजे सामने नहीं आ पाएंगे, जिनकी आवश्यकता है, व जिनसे सभी तक विकास के लाभ पंहुचाना संभव हो सकता हो।"

  महिला महाविद्यालय की छात्रा नीतिका खंडेलवाल द्वारा रोज़गार के विषय पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि रोजगार अब स्वरोजगार की ओर अधिक उन्मुख है और सरकार एक ऐसी व्यवस्था बनाने पर ज़ोर दे रही है, जिसमें लोग रोजगार सृजन में सक्षम हों और दूसरों को काम उपलब्ध कराएं। ग्रामीण रोजगार चुनौतियों के संबंध में, उन्होंने कहा कि सरकार ग्रामीण युवाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में चुनौतियों के अभिनव समाधान के साथ आगे आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जिसे नीतियों, वित्त पोषण और सुविधाओं की मदद से रोजगार के अवसरों में परिवर्तित किया जा सके। उन्होंने कहा कि, ग्रामीण आबादी के प्रशिक्षण और कौशल विकास, स्वयं सहायता समूहों का सहयोग व वित्तपोषण और कई अन्य उपायों से ग्रामीण रोजगार की चुनौती से निपटा जा सकता है।
  स्नातकोत्तर छात्र वरुण यादव ने विनिर्माण क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की रणनीति के संबंध में पूछा। वित्त मंत्री ने कहा कि विभिन्न कारणों से भारत में नीतियां, विनिर्माण क्षेत्र को उस तरह से आगे बढ़ा पाने में सक्षम नहीं थी, जैसी प्रगति इस क्षेत्र की होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि भारत का विनिर्माण क्षेत्र कुछ देशों की आक्रामक मूल्य निर्धारण नीतियों का भी शिकार रहा है, जिसकी वजह से भारत में इस क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। उन्होंने एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रीडिएंट (API) का उदाहरण देते हुए कहा कि जिन क्षेत्रों में भारत अत्यंत मज़बूत स्थिति में था, वहां भी देश पिछड़ रहा था। उन्होंने बताया, “सरकार अब सही दृष्टिकोण और नीतियों के साथ इस क्षेत्र में तेजी से विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।” श्रीमती सीतारमण ने Covid19 महामारी के काल का उल्लेख करते हुए कहा कि एक स्थिति तब थी जब भारत पीपीई और वेंटिलेटर की भारी कमी का सामना कर रहा था, और एक स्थिति वह आई जब भारत दूसरे देशों की मदद करने में सक्षम बना। यह स्पष्ट करता है कि देश सही राह पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की आत्मनिर्भर भारत की पहल इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कई अन्य विषयों जैसे डिजिटल मुद्रा, स्टार्ट-अप पहल, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय रुपये के उतार-चढ़ाव, योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और सामाजिक क्षेत्र में सरकारी खर्च पर भी बात की, जिन पर विद्यार्थियों ने कई प्रश्न पूछे। उन्होंने कहा कि उपलब्ध तथ्य और आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि जब सामाजिक क्षेत्र पर खर्च करने की बात आती है, तो भारत सरकार वह सब कर रही है जो आवश्यक है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए बढ़ी हुई फेलोशिप राशि का उदाहरण देते हुए, उन्होंने कहा कि मनरेगा के लिए धन में भी वृद्धि की गई है और कोई भी राज्य इस योजना के तहत दिए गए धन से वंचित नहीं है। वित्त मंत्री ने सलाह दी कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय रुपये में उतार-चढ़ाव के संबंध में सामान्य धारणाएं और निष्कर्ष नहीं निकाले जाने चाहिए। श्रीमती सीतारमण ने कहा, “इस विषय में संदर्भ समझने और यह देखने की जरूरत है कि वास्तव में क्या हो रहा है।” उन्होंने कहा कि योजनाओं और कार्यक्रमों का समय पर और प्रभावी क्रियान्वयन, माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत सरकार की सबसे बड़ी यूएसपी रही है। स्टार्ट अप पहल पर वित्त मंत्री ने भारत सरकार द्वारा बनाए गए अनुकूल माहौल को रेखांकित करते हुए कहा कि आज देश में एक ऐसी व्यवस्था है, जो स्टार्ट अप को प्रोत्साहित करने तथा फलने-फूलने और यहां तक कि आसानी से बाहर निकलने में सहूलत देती है। उन्होंने बताया कि पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या पहले की संख्या 14000 से बढ़कर अब 77000 हो गई है, जो सरकार के परिवर्तनकारी व सुधारात्मक उपायों की परिचायक है।
वित्त मंत्री ने छात्रों के साथ बातचीत का अवसर उपलब्ध कराने के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि बीएचयू एक अनूठा और बहुत प्रतिष्ठित संस्थान है जिसने अपने छात्रों के लिए इस तरह के कार्यक्रम की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि उन्हें बीएचयू जैसे संस्थान में पढ़ने का मौका मिलता है जहां वे पुस्तकीय ज्ञान तो अर्जित करते ही हैं, साथ-साथ जीवन मूल्यों व सिद्धांतों से भी अवगत होते हैं।
स्वागत भाषण देते हुए कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने छात्रों के लिए नए अवसर सृजित करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि वे न केवल बौद्धिक और पेशेवर रूप से विकसित हों बल्कि समाज व देश में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी तैयार हों। उन्होंने कहा कि बीएचयू का ध्येय राष्ट्र निर्माण करना है और यह किसी भी अन्य शैक्षणिक संस्थान से बहुत अलग है। अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. भूपेंद्र विक्रम सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। मंच पर सामाजिक विज्ञान संकाय की डीन प्रो. बिंदा परांजपे भी मौजूद थीं। वित्त मंत्री ने अर्थशास्त्र विभाग के न्यूज़लेटर का भी विमोचन किया।

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