चलते-चलते…भाग एक..5/11
नगरनामा के लिए सियासतनामासीटों पर चींटों की भरमार : आरक्षण का पता तक नहीं
सीटों पर चींटों की भरमार : आरक्षण का पता तक नहीं
मिर्जापुर(सलील पांडेय)। एक नम्बरी बनने के लिए घण्टा अभी बजा नहीं है लेकिन भागमभाग की घनघनाहट होने लगी है। नवजात शिशु को कखौरी में दबाए मां की तरह अपनी मनोकामनाओं की फाइल दबाए अलग-अलग ठिकानों पर मत्था टेकने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
बीस नम्बरी लोग सत्ता की चौरी पर लगा चुके हाजिरी
कमल के फूल का वक्त चल रहा है। यह फूल नारायण और माता लक्ष्मी दोनों को पसंद है। लिहाजा नम्बर एक का कमलवत बनने के लिए बीजेपी के मन्दिर में लगभग 20 मनौतियां हो गई हैं। बढ़ती तादाद के लिए मनोकामनाओं की दरख्वास्त लेने की तारीख बढ़ाने के लिए मजबूर होना ही पड़ रहा है लिहाजा संख्या इससे ऊपर हो ही जाएगी।
क्या है एक नम्बरी
एक नम्बरी वैसे भी साफ़-सुथरा होने का पावर-प्लांट है। निकाय चुनाव में एक नम्बरी का मतलब नगर का प्रथम नम्बर का नागरिक बनना। यह बनते ही अन्य लोग दो नम्बर कहें, या तीन, या चार या कोई भी नम्बर पदेन हो ही जाएंगे । वैसे भी चार दिशाएं, चार युग, चार वर्ण, पुरुषार्थ चतुष्टय की तरह प्रथम श्रेणी से चतुर्थ श्रेणी तक देश-दुनियां और समाज विभाजित है ही। शेष नम्बर की बात तो भुखमरी में, सफाई में, विकास में, वसूली में सुनी ही जाती रहती है।
कमल की पंखुड़ियों के दावेदार
मिर्जापुर की नगरपालिका के पालनकर्त्ता मनोज जायसवाल तो दमदारी से सीट पर पुनः विराजमान रहने के लिए दिल्ली-लखनऊ तक किए हैं लेकिन अपने आंगन में ‘अरुण की जबरदस्त किरण’ की दुहाई देते हुए संतोष गोयल अपने आगे-पीछे चलने वालों को संतोष का पाठ पढ़ा रहे हैं जबकि बार-बार डाल से चूक रहे मनोज श्रीवास्तव का भी दावा ‘श्रीमान्’ कहलाने का तो है ही। इसी के साथ विवेक बरनवाल पिछले एक साल से सारा विवेक इसी प्रथम नम्बरी के लिए कर रहे हैं जबकि श्याम सुंदर केसरी भी सुंदर ख़्वाब पाले हैं। मनीष गुप्ता अभी पार्टी के आधे हिस्से पूर्वी के ही अध्यक्ष है। वे एक नम्बर होकर पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण सब अपने अधीन करना चाहते है। अशुकान्त चुनाहे पैतृक वसीयतनामा लिए घूम रहे हैं। प्रथम नागरिक की दावेदारी के झंझावातों में झन्ना मौर्य 5 बार खुद और अपने परिवार के खाते में सभासदी का झंडारोहण कर चुके है तो वे भी झुनझुना बजाते सुने जा रहे हैं। गुणाभाग में गौरव उमर भी लगे सुने जा रहे हैं। सर्वाधिक वजनदार नाम कमलदल में विश्वनाथ अग्रवाल का लिया जाता है जिनके संबन्ध में यह धारणा बन गई है कि दो बार की इनकी सक्रियता से नगर विधानसभा सीट पर साइकिल पंक्चर ही नहीं हुई बल्कि उसका डल्ला-पल्ला तक उखड़ गया है। लेकिन परिवार पर दो साल के बीच बज्रपात में दो भाइयों की असमय मौत ने उन्हें कुछ ज्यादा गंभीर बना दिया है।
किसका होगा क्षरण और किसको मिलेगा आरक्षण
मिर्जापुर नगरपालिका के अध्यक्ष पद किस वर्ग की ओर खींच जाएगा, फिलहाल इसका पता नहीं है। आरक्षित स्थिति में तदनुसार फैसला मौके पर लिया जाएगा। अनुसूचित पुरुष की आस पूरी हुई तो प्रदीप सोनकर का नाम सामने आएगा ही। महिला हुई तो हो सकता है कि कोई सक्रिय महिला चुनाव लड़े या किसी दावेदार के चौखट के अंदर सीट न चली जाए।
साइकिल के लिए भी दावेदारी तेज जबकि हाथी पर बैठने को कोई तैयार नहीं
सपा की ओर से हरफनमौला सुनील पांडेय की नजर तो है ही जबकि पूर्व पालिकाध्यक्ष अरुणकुमार दुबे के भतीजे अंकित दुबे अपना नाम अंकित करने में एक साल से लगे है जबकि शक्ति श्रीवास्तव शक्तिपीठ की नगरपालिका पर दावेदारी ठोके हैं । इन्हें ‘आशुतोष’ की कृपा प्राप्त है। प्रदेश के व्यापारी नेता सुधीर हलवासिया के बल पर भाजपा के लंबे दिनों से बगावती शैलेन्द्र अग्रहरि को उम्मीद है कि टिकट का हलवा उन्हें ही मिलेगा। सपा में ही राधेश्याम साहू ‘आशीष’ से आशीष लेने में लगे है। इस बीच सर्वाधिक दिक्कत शुभता के प्रतीक हाथी-दल हो रही है। कइयों को ऑफर दिया गया लेकिन शहरी इलाके में हाथी का चारा-पानी कम होता है लिहाजा कोई घास डाल नहीं रहा है।
‘हाथ’ हिलाते लोग
कांग्रेस से चुनाव लड़ने के लिए जो हाथ हिलते-डुलते दिख रहे हैं उसमें पूर्व नगरपालिकाध्यक्ष दीपचंद जैन का भी हाथ है। उनका दावा है कि वे व्यापारियों के मसीहा हैं। यह सीट व्यापारियों के लिए महफूज है। जबकि अमिताभ पांडेय जुझारूपन के चलते और अर्चना चौबे मेहनत के बल पर और संदीप मिश्र रिश्तों-नातों की सघनता के नाम पर हाथ बढ़ाए हैं।
अपना-दल
अपना दल में पति-पत्नी की भारतीय राजनीति में मजबूत धमक के चलते हो सकता है कि अपने मुख्य गढ़ की नगरपालिका के लिए कप-प्लेट में चाय की ख्वाहिश इस पार्टी की ओर से भी हो। दो बार केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल यहां से सांसद हैं। इसलिए पालिका की पालिका अपनी पार्टी को बनाने के मैनेजमेंट वे अवश्य लगेंगी।
‘झाड़ू’ वाली पार्टी
पंजाब में भी सरकार बना लेने की वजह से इस पार्टी के लोगों का मनोबल बढ़ा है। उन्हें उम्मीद है कि डेंगू दौर में उनकी पार्टी झाड़ू लेकर उतरेगी तो हर स्तर पर गंदगी साफ करने का भरोसा देगी और जनता मुग्ध हो जाएगी।
और भी नाम हो सकते हैं
अलग-अलग दलों के लिए ऊपर अंकित नामों के अलावा और भी नाम अभी सामने आएँगे ही। जिन नामों का उल्लेख है उसमें कुछ तो बिजली के खंभों से पूछने पर और कुछ इधर-उधर शुरू अटकलबाज़ी के आधार पर है। आने वाले दिनों में खोजबीन जारी रहेगी।
सलिल पांडेय, मिर्जापुर।