*हे दीनानाथ! सुन ल अरजिया हमार* 

– व्रती महिलाओं ने दिया अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य, घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब

– कुछ व्रतियों ने घर से घाट तक जमीन पर लेटकर सफर को किया पूरा

सर्वेश श्रीवास्तव/ज्ञानदास कन्नौजिया

शाहगंज (सोनभद्र)। कस्बे के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में सूर्य षष्ठी (डाला छठ) का महापर्व हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर व व्रती महिलाएं जलाशय में कमर भर पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि एवं पुत्र रत्न की प्राप्ति हेतु प्रार्थना की। इस दौरान घाटों पर भारी भीड़ रही। व्रती महिलाओं ने रविवार की सायंकाल चार बजे से ही गाजे-बाजे के साथ घाटों की ओर

जाती देखी गई। आगे-आगे इनके परिजन नंगे पांव डलिया (सूप) में पूजन सामग्री व ईख लिए जा रहे थे। इस वक्त महिलाएं भी छठ मइया के गीत “कांचहि बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय”, व “कल सुमवा चढ़इबा छठिय मइया, छठी मइया के सुहाय” आदि गाती हुई जा रही थी। अर्घ्य के बाद महिलाएं अपने-अपने वेदी पर गन्ने का मंडप बनाकर

उसके मध्य देसी घी के जलते दीप को रखा। इसके साथ ही डलियां में पूजन सामग्री रखकर पूजन-अर्चन की। कुछ व्रतियों ने घर से घाट तक जमीन पर लेटकर सफर को पूरा किया। छठ पर्व पर कस्बे के अम्ऊड तालाब व ग्रामीणांचलों के ढुटेर तालाब, खजुरी तालाब, धर्मदासपुर, बंधा, गौरीशंकर, राजपुर, चतरवार, ममुआ, डोहरी, खजुरौल, मराची, बालडीह, बरकरा आदि गांवों के छठ घाटों पर मेले जैसा दृश्य रहा। इस अवसर पर सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर कस्बे में पुलिस के जवान चक्रमण करते रहे।

 *छठ गीत से गुलजार रहे घाट*

“कांचहि बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय” व छठी पूजे गंगा के कररिया, बहंगी लचकत जाय”, आदि छठी मइया के गीतों से घाट (पूजा स्थल) गुलजार रहे। डूबते सूर्य को अर्घ्य के समय घाट पर बैठी सामूहिक रूप से गा रही महिलाएं काफी उत्साहित नजर आ रही थी। मां की महिमा की इस गीत को सुनकर अन्य लोग भी अपने गीत गुनगुनाने से नहीं रोक पाए। वैसे छठी मइया के गीतों की गूंज दीपावली बाद से ही सुनाई देने लगी थी।

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