प्रखर विचारक व कुशल संगठनकर्ता थे दीनदयाल जी- सुरेन्द्र अग्रहरि

दुद्धी-सोनभद्र(समर जायसवाल)। 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना के समय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को महामंत्री बनाया गया उनकी कार्यकुशलता को देखकर डॉ मुखर्जी जी ने कहा था कि मुझे यदि दो

दीनदयाल मिल जाते तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा ही बदल देता।। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की संगठनात्मक कुशलता बेजोड़ थी। 1967 के कालीकट अधिवेशन में भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के43 दिन बाद इनकी हत्या मुग़लसराय रेलवे स्टेशन पर की जाती है। और आजतक उनकी हत्या का पता नहीं चल पाता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी एकात्म मानववाद के प्रणेता थे ।एकात्म

मानववाद में मानवजाति की मूलभूत आवश्यकताओं और सृजित कानूनों के अनुरूप कार्रवाई हेतु एक वैकल्पिक सन्दर्भ दिया गया है।अपनी इस राजनीतिक दर्शन के माध्यम से उन्होंने हर मनुष्य के शारीरिक ,बौद्धिक चेतना के आत्मिक विकास की बात कही। इस अवसर पर पूर्व मण्डल अध्यक्ष अजय प्रसाद, राहुल एडवोकेट, आकाश जायसवाल, धनंजय रावत, आदित्य कुमार, संतोष कुमार, सूर्या अग्रहरि, उपस्थित रहे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के 93 वे संस्करण के मन की बात को सुना।

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