अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े प्रतिनिधियों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से की मुलाकात

जनजाति गौरव दिवस पर होने वाले सम्मेलन को लेकर हुई समीक्षा बैठक

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के साथ जनजाति गौरव दिवस पर होने वाले सम्मेलन एवं वनाधिकार पट्टा की समीक्षा बैठक सकारात्मक रही। यह बातें समीक्षा बैठक के उपरांत आश्रम के प्रमुख आनंद जी ने शनिवार को कहीं। उन्होंने बताया कि सेवा समर्पण संस्थान संबद्ध अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम सोनभद्र का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के राज्यपाल के एवं मुख्यमंत्री के आवास पर मिलकर जनजाति गौरव दिवस पर होने वाले कार्यक्रम की समीक्षा बैठक की। इस दौरान

सदियों से शोषित वंचित विकास से कोसों दूर रहने वाले जनजाति समाज के समृद्ध करने पर चर्चाएं हुई। बैठक की सूचना देते हुए सेवा समर्पण संस्थान के सह मंत्री आलोक कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल सह संगठन मंत्री उत्तर प्रदेश आनंद जी के नेतृत्व में सेवा समर्पण संस्थान के जिलाध्यक्ष विमल सिंह , प्रदेश सरकार के समाज कल्याण राज्य मंत्री संजीव कुमार गोंड़, अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के पूर्व सदस्य रामसेवक खरवार बैठक में उपस्थित रहे। समीक्षा के दौरान आनंद जी ने बताया कि सदियों से शोषित वंचित और विकास से कोसों दूर रहने वाला जनजाति समाज वर्तमान सरकार की बनने के बाद से अपने आप को सरकार के सहयोग से सुदृढ़ करने में सफल हुआ है। इसलिए सरकार और संगठन दोनों की मंशा है कि जब 15 नवंबर को जनजाति समाज अपना गौरव दिवस मना रहा होगा तब जनपद सोनभद्र में इस समाज को वन अधिकार पट्टा प्रमाण पत्र वितरण किया जा रहा होगा। इस पर अपनी पूर्ण सहमति जताते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस समाज के विकास हेतु जितना संभव हो पाएगा सरकार वह सब कदम उठाएगी। वही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि सेवा समर्पण संस्थान जनपद सोनभद्र समेत संपूर्ण उत्तर प्रदेश में वनवासी समाज के लिए जो कार्य कर रहा है अत्यधिक सराहनीय है। इसलिए इस सेवा कार्य को ईश्वरी कार्य मान कर आयोजित होने वाले हर कार्यक्रम में उपस्थित रहना अपने आप में एक गौरव का विषय है। जिलाध्यक्ष जेसी विमल सिंह ने कहा की भारत की सभ्यता और संस्कृति अपने आप में एक विशिष्ट पहचान लिए हुए हैं। इसका मुख्य कारण यहां निवास करने वाले व्यक्तियों की सांस्कृतिक गतिविधियों का समान होना जो अपने आप में अकल्पनीय है और इनकी एकता भारतीय समानता की प्रमाणिकता है। इसलिए भारत देश को अनेकता में एकता वाला देश भी कहा जाता है।

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