सोनभद्र।एनसीएल ककरी कोयला खदान में अधिकारियों के मिलीभगत से कोयला ढुलाई में फर्जीवाड़ा सामने आया है। सोनभद्र जनपद के अंतर्गत एनसीएल ककरी परियोजना से आरओएम कोयले की जगह स्टीम कोयले की ढुलाई हो रही है। कोयले के इस गोरखधंधे से एनसीएल और सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
बताते चले कि सोनभद्र जनपद का कोयले एवं ऊर्जा क्षेत्र के नाते अहम स्थान माना जाता है और यहीं के कोयले से बनी बिजली से पूरे देश को रौशनी मिलती है। लेकिन अब इसी उर्जाधानी में एनसीएल के लोडिंग प्वाइंट से कोयला ढुलाई में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। कोयले के इस गोरखधंधे से एनसीएल और सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
गोरखधंधे की शुरुआत ई-ऑक्शन से ही शुरू हो जाती है। इसके लिए सबसे पहले कोयला व्यवसाई ई- ऑक्शन के तहत सबसे लो ग्रेड यानी कि आर ओ एम कोयले की खरीदारी करता है। जिसका बाजार मूल्य लगभग 3 हजार पांच हजार रुपये प्रति टन है। लेकिन ढुलाई आर ओ एम कोयले की जगह स्टीम कोयले की होती है जिसकी कीमत लगभग 12 हजार रुपये प्रति टन है। यानी प्रति टन 6 से 9 हजार रुपये की चपत सरकार को लगाई जा रही है।
कोयले का ये गोरखधंधा कितना बड़ा है और सरकार को कितना नुकसान पहुंचाया जा रहा है इसको ऐसे समझा जा सकता है। कोयले की ढुलाई अगर प्रतिदिन लगभग 2 हजार टन कोयला लोड किया जाता है। प्रति टन 9 हजार के हिसाब से सरकारी राजस्व के नुकसान का आकलन लगाया जा तो लगभग एक करोड़ 80 लाख रुपया प्रतिदिन की राजस्व चोरी है।आरओएम कोयले की जगह स्टीम कोयले की ढुलाई अधिकारियों की मिलीभगत से किए जाने का आरोप लगाया जाता रहा है।स्टीम कोयला बेहतर क्वालिटी का होता है जिसकी साइज आर ओ एम कोयले की तुलना में काफी बड़ी होती है।
बताते चले कि रन-ऑफ-माइन (ROM) कोयलाखदान से दिया गया कोयला जो कोयला तैयार करने वाले संयंत्र को रिपोर्ट करता है उसे रन-ऑफ-माइन या ROM, कोयला कहा जाता है। यह सीपीपी के लिए कच्चा माल है, और इसमें कोयला, चट्टानें, मध्य, खनिज और संदूषण शामिल हैं। संदूषण आमतौर पर खनन प्रक्रिया द्वारा पेश किया जाता है और इसमें मशीन के पुर्जे, प्रयुक्त उपभोग्य वस्तुएं और जमीन से जुड़े उपकरणों के हिस्से शामिल हो सकते हैं। ROM कोयले में नमी और अधिकतम कण आकार की एक बड़ी परिवर्तनशीलता हो सकती है।