आदित्य सोनी
पिपरी (सोनभद्र)। पुत्र की सलामती और लंबी उम्र के लिए रविवार को जीवित्पुत्रिका का पर्व नगर में मनाया गया। महिलाओं ने अन्न-जल ग्रहण किए बिना व्रत रखा। दोपहर बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर और हाथों में पूजा की थाल लेकर व्रती महिलाएं गाजे-बाजे के साथ मंदिरों, नदी घाटों के किनारे
पहुंचीं। यहां महिलाओं ने जिउतिया माता की पूजा कर सुख-सौभाग्य की कामना की। जगह-जगह भीड़ उमड़ने से मेले जैसा नजारा रहा।पुत्र की प्राप्ति एवं उनके दीर्घायु के लिए जीवित्पुत्रिका का कठिन व्रत महिलाएं रहती हैं। निर्जला व्रत रख कर महिलाएं सुबह से ही पूजन की तैयारियों में लगी रहीं। तरह-तरह के पकवान बनाने के बाद दोपहर में पूजन सामग्री
के साथ महिलाएं नगर के कैलाश मंदिर, काली मंदिर, गौरीशंकर मंदिर, छठ घाट के किनारे व अन्य सार्वजनिक स्थलों की ओर रवाना हुईं। गाजे-बाजे के साथ पहुंची महिलाओं ने विधि विधान से जिउतिया माता की पूजा की। इस दौरान माता के महात्म्य से जुड़ी कहानियां भी सुनाई गईं। महिलाओं ने प्रतीक के रूप में सोने या चांदी की जिउतिया को गले में धारण किया। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पुत्र पर आने वाले संकट टल जाते हैं।