राष्ट्रीय खेल दिवस पर हिंडालको महान ने ग्रामीण खेलो का किया आयोजन व प्रतिभागियों को किया पुरुस्कृत

सिगरौली।राष्ट्रीय खेल दिवस पर हिंडालको महान ने ग्रामीण खेलो का किया आयोजन व प्रतिभागियों को किया पुरुस्कृत
29 अगस्त को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय खेल दिवस या नेशनल स्पोर्ट्स डे के रूप में मनाया जाता है।हिंडालको महान ने खेल प्रतिभाओं को ग्रामीण स्तर पर मौका देने हेतु हिंडालको महान के कंपनी प्रमुख सेन्थिलनाथ व मानव संसाधन प्रमुख बिश्वनाथ मुखर्जी के नेतृत्व में हम फिट तो इंडिया फिट के मुहीम को आगे बढ़ाते हुये ग्रामीण स्तर पर सी.एस.आर.विभाग द्वारा कई खेलो का आयोजन किया गया,जिसमे ग्राम खेखड़ा व विस्थापित कालोनी मझिगँवा में तरह तरह के खेल ,जैसे खो-खो,कबड्डी,कुर्सी दौड़,बोरा दौड़,बंटी चम्मच दौड़,व अन्य खेलों का आयोजन हुआ,जिसमे स्कूल के बच्चो व स्थानीय ग्रामीण महिलाओं ने भी इस खेल में अपना हुनर आजमाया,मझिगँवा के विस्थापित कालोनी में आयोजित खेल दिवस पर अपने विचार रखते हुये सी.एस.आर.प्रमुख संजय सिंह ने कहा कि ये दिन बहुत खास होता जा रहा है क्योंकि ओलंपिक में भारत लगातार अपना बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। राष्ट्रीय खेल दिवस का मुख्य उद्देश्य खेल के महत्व को जानना और उसके प्रति जागरूकता फैलाना है।
बच्चे खेलों में तभी मन लगाते हैं जब वे एक्टिव होते हैं और लंबे समय तक बिना थके खेल पाते हैं. अगर बच्चे एक्टिव नहीं होंगे और उनमें स्टेमिना की कमी होगी तो वे खेलों से जी चुराने लगेंगे. इसलिए उनमें रोजाना कसरत करने की आदत डालें जिससे किसी स्पोर्ट में हिस्सा लेने पर वे बिना जल्दी से थके उसे पूरी तरह एंजोय कर पाएं
खेल दिवस के मौके में ग्राम खेखड़ा में मुख्य अतिथि के रूप में हिंडालको महान के ट्रेनिंग हेड अनिल शर्मा व ऑपरेशन विभाग से जूनियर इंजीनियर शिवानी ने कार्यक्रम में अपने अनुभव साझा किये व प्रतिभागियों को पुरुस्कार प्रदान किये,कार्यक्रम में अपने विचार रखते ट्रेनिंग हेड अनिल शर्मा ने फिट होने के लिए खेल को सबसे अच्छा माध्यम बताया और पढ़ाई के साथ साथ खेलते रहने के लिये प्रेरित किया,वही शिवानी ने बच्चो को इस दिन के महत्व के बताते हुये कहा कि मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में यह दिवस मनाया जाता है, मेजर ध्यानचंद पद्द्म भूषण विजेता है। उन्हें हॉकी का जादूगर भी कहा जाता है। मेजर ध्यानचंद हॉकी की प्रति इतने समर्पित थे की उनके खेल काल में हॉकी अपने स्वर्णिम काल के नाम से जाना जाता है। कार्यक्रम व खेलो का संचालन सी.एस.आर विभाग से विजय बैश्य,बीरेंद्र पाण्डेय,शीतल श्रीवास्तव,भोला बैस,संजीव बैस,देवेश त्रिपाठी ,अरविंद बैश्य, प्रभाकर वैश्य के साथ साथ विद्यालय के आचार्य बंधुओ ने किया

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