बीजपुर(सोनभद्र)डीएवी पब्लिक स्कूल, एनटीपीसी, रिहंदनगर में बड़े हीं धूम- धाम से ढोल- नगाड़ों एवं अमर शहीदों की याद में गगनभेदी नारों के बीच स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया गया। स्वतंत्रता संग्राम के प्रत्यक्षदर्शी बलिया निवासी तिरानवे (93) वर्षीय श्री परमहंस उपाध्याय जी को मुख्य अतिथि के रूप में पाकर विद्यालय परिवार भाव- विभोर हो गया। विद्यालय के प्राचार्य श्री राजकुमार ने करतल ध्वनि के बीच पुष्प गुच्छ और अंगवस्त्र प्रदान कर मुख्य अतिथि को सम्मानित किया। तत्पश्चात मुख्य अतिथि ने तिरंगा फहराकर झंडे को सलामी दी। राष्ट्रगान के पश्चात प्राचार्य श्री राजकुमार ने अपने ओजस्वी एवं प्रेरणास्पद संबोधन के द्वारा विद्यार्थियों में देश भक्ति की नई ऊर्जा का संचार किया। मुख्य अतिथि श्री परमहंस उपाध्याय ने अपने संबोधन में बताया कि 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वो चौथी कक्षा में पढ़ते थे। बलिया के स्वतंत्रता सेनानियों ने
अंग्रेजी हुकूमत के प्रतीक रेल, तार, डाक आदि पर आक्रमण कर अंग्रेजी हुकूमत को भागने पर मजबूर कर दिया। स्वतंत्रता सेनानियों ने थानों में आग लगा दी। बाल्यावस्था में होने के कारण उत्सुकता वश हमलोग इन घटनाओं को देखने जाया करते थे।
बलिया वासियों ने अमर शहीद चित्तू पांडे के नेतृत्व में 1942 में हीं बलिया जिले को आजाद कराने में सफलता प्राप्त कर लिया था। अंग्रेजी अधिकारी बलिया छोड़कर भाग खड़े हुए थे और चित्तू पांडे ने प्रशासन की कमान संभाल ली थी। किंतु ट्रेन और गंगा के रास्ते बड़ी संख्या में अंग्रेजी फौज बलिया में दाखिल हुई और दुबारा बलिया पर अंग्रेजों का हुकूमत कायम हुआ। उसके बाद अंग्रेजों ने बड़ी ही निर्दयता और क्रूरता के साथ बलिया वासियों पर अत्याचार किया। स्वतंत्रता सेनानियों के गांवों पर आक्रमण कर उनके घरों को आग के हवाले कर दिया। पकड़े जाने पर निर्दयता से उन्हें पीटा गया और जेल में बंद किया गया। उनकी संपत्ति को लूट लिया गया। परमहंस उपाध्याय जी के संबोधन को सभी बड़े भाव-विभोर होकर सुन रहे थे। उसके बाद बच्चों ने देशभक्ति से ओत-प्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा राष्ट्र प्रेम का संदेश दिया।आज के कार्यक्रम का संचालन कक्षा ग्यारह की छात्रा अंशिका मिश्रा और साक्षी सिंह ने किया। बच्चों की ओर से वेदांग शुक्ला,ज्योति एवं वैष्णवी आनन्द ने ओजस्वी भाषण दिया। मिष्टान वितरण एवं भारत माता की जय, वंदे मातरम, स्वतंत्रता दिवस अमर रहे के गगनभेदी नारों एवं डाॅ आर के झा के धन्यवाद ज्ञापन के बाद कार्यक्रम का समापन किया गया।