मौसम की बेरुखी से किसानों में चिंता

पानी के अभाव में सूख रही धान की नर्सरी, खरीफ की फसल पर भी संकट

पिछड़ रही धान की अगैती खेती, सूखे की आशंका से किसान चिंतित

शाहगंज-सोनभद्र(ज्ञानदास कन्नौजिया)। इंद्र देव के कोप और मौसम की बेरुखी से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचती जा रही है। पानी के अभाव में धान की नर्सरी तो सूख ही रही है, खरीफ की फसल पर भी संकट मड़रा रहा है। अगैती धान की खेती पिछड़ने और सूखे की आशंका से किसान चिंतित हैं। साधन संपन्न किसान किसी तरह धान की नर्सरी बचाने में जुटे हुए हैं। आलम यह है कि दरार फटे धान की नर्सरी में आज पानी डाला जा रहा है तो तीसरे दिन फिर दरार फटनी शुरू हो जा रही है। सिवान में तो मानो वैशाख, जेठ जैसी धूल उड़ रही है और हवाएं भी बह रही है। इलाके में बरसात नहीं होने से बोई गई खरीफ की फसल मकई ,अरहर,तिल,उर्द सहित मिर्च, टमाटर आदि की फसल भी सुख रही है। बताते चलें कि क्षेत्र में इस वर्ष अब तक केवल एक ही बार ऐसी बारिश हुई है जिससे खेतों की जुताई होने लगी। उसके बाद मानसून फिर निष्क्रिय हो गया। हालात यह है कि जलस्तर गृष्म ऋतु की तरह आज भी बना हुआ है।तालाब, नदी – नाले व कुएं सूखे हुए हैं। नहरों में भी पानी नहीं है। यहां तक कि इंडिया मार्का -2 हैंडपंप की भी स्थिति ठीक नहीं है। कहीं-कहीं तो आषाढ़ मास बीत जाने और श्रावण आने के पश्चात भी पेयजल को लेकर त्राहि-त्राहि मचा हुआ है। सर्वाधिक परेशान पशु-पक्षी हैं। अपनी प्यास बुझाने के लिए इन्हें इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि महंगा बीज लेकर किसी तरह धान की नर्सरी डाली है और खरीफ फसल की बुवाई की है। किंतु पानी नहीं बरसने से यह भी मुरझा रही है। इसको लेकर वे काफी चिंतित हैं। यदि कुछ दिनों तक मौसम इसी प्रकार बना रहा तो सूखे की आग से झुलसना पड़ सकता है। क्योंकि तीन दिन श्रावण भी हो गया, मगर कहीं भी बारिश नहीं हो रही है।

बदरी हरजाई ,सूरज से लजाई


सोनभद्र। सोनांचल में मानसून पूरी तरह निष्क्रिय है। यहां बरसात नहीं होने से आम जनमानस निराश है। वर्तमान में अकाल जैसी स्थिति दिख रही है। किसानों में उदासी है। खेतों में धूल उड़ रही है। आसमान में जब काले -कजरारे बादल नजर आते हैं तो लोगों खासकर किसानों में थोड़ा उम्मीद जग जाती है और वे आकाश की ओर टकटकी लगाने लगते हैं कि अब बरसेगा बदरा। मगर सूरज के आगे हरजाई बदरी लजा जाती है और दिन में तेज धूप तथा रात में दिखने लगते हैं तारे। आषाढ़ तो गुजर गया, सावन भी तीन दिन हो गया। देखना है कि बरसात का यह महीना किसानों के लिए कितना कारगर साबित होता है और लोगों को झमाझम बारिश तथा सुहाने मौसम से मन मोह लेता है।

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