राज परिवार सहित उपस्थित गणमान्यों ने दी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
सोनभद्र(सर्वेश कुमार)। अगोरी-बड़हर स्टेट के युवराज स्मृति शेष अभ्युदय ब्रह्म की द्वितीय पुण्यतिथि का आगाज राजपुर राजभवन से दो किमी दूर श्रीनगर में पुरोहित की निगहबानी में विधि विधान से सम्पन्न हो गया। यहाँ यह उल्लेख करना समीचीन होगा कि दो वर्ष पूर्व में हुए इनके वैवाहिक कार्यक्रम के छः माह भी नहीं बीते थे की अचानक इनका निःसंतान रहते हुए परलोक गमन
हो गया। शोक संतप्त राजपरिवार ने 2021 में मनाई थी पहली पुण्यतिथि तो इस बार 7 जुलाई को देर संध्या वेला तक चले पुण्यतिथि कार्यक्रम में राजकुमारी दीक्षा व राजा आभूषण ब्रह्मशाह की ओर से आयोजित दूसरी पुण्यतिथि में राजपरिवार के सभी स्वजनों सँग परिजन अभिजन समुपस्थित रहे।
राजघराने के क्रांति ब्रह्म शाह व देवांश ब्रह्म के साथ बकौली, देवगढ़ व अन्य स्थानों से परिजन कार्यक्रम में शामिल हुए।
राजकुमारी दीक्षा व अगोरी बड़हर नरेश राजा आभूषण ब्रह्म शाह की अगुवाई में दिवंगत युवराज अभुदय ब्रह्म शाह की इस
पुण्यतिथि पर अतीत की बातें भी अनायास आप्लावित हो उठीं। इस दौरान अवसान प्राप्त युवराज की मृदुभाषिता, समाज के लिए उनका समर्पित भाव व युवावस्था में ही इनकी सीमा घोरावल कड़िया-28, घोरावल तहसील अंतर्गत शाहगंज-राजपुर से आग़ोरी रियासत व सोनभद्र तक लोकप्रियता के लिए विख्यात स्मृति शेष अभ्युदय ब्रह्म की अहम किरदार रजकुमारी दीक्षा सँग राजा बड़हर ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये तो समूचा राजवंश परिवार गमगीन हो उठा और आयोजन में सार्थक भावभंगिमा से भूमिका निर्वहन किया।
गौरतलब हो कि श्रीनगर सेवा बड़े ही गहरे ताल्लुकात रहे इस चन्देल राजवंश के। अगोरी से सीधे इनका पड़ाव प्रवास श्रीनगर ही रहा इसके बाद राजपुर में राजभवन स्थापित हुआ। इसी कारण अभुदय ब्रह्म का अंतिम संस्कार श्रीनगर में हुआ और पुण्यतिथि भी इसी जगह मनाई गई। इस स्थान की महत्ता इतनी वर्णित होती है कि श्रीनगर से ही राजवंश चला और पीढियों तक राजे रजवाड़ों का साम्राज्य चला। वही दिवंगत अभ्युदय ब्रह्म के शिक्षा पर रोशनी डालने से ज्ञात होता है कि देहरादून, इलाहाबाद, रायपुरा और दार्जिलिंग में रहते अध्ययन किया था और दार्जिलिंग केनलपांग से होटल मैनेजमेंट की शिक्षा ग्रहण की थी। ये राजा आभूषण ब्रह्म शाह के इकलौते पुत्र थे। इनकी दूसरी पुण्यतिथि में भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता एवं गणमान्य जनों के साथ उनको चाहने वाले लोग भारी संख्या में मौजूद रहे।