स्वास्थ्य सेवा यात्रा का चौथा दिन : 63,260 मरीजों की जांच कर दी गई दवाएं!

मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी

सोनभद्र। जनपद के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में डॉक्टर्स डे एक जुलाई से शुरू किए गए स्वास्थ्य मेले के चौथे दिन सोमवार तक कुल 750 चिकित्सकों ने अपनी सेवा प्रदान की। इस प्रकार उन्होंने 96 कैंपों व एक मेगा कैंप के माध्यम से 63,260 मरीजों को चिकित्सकीय सेवा एवं सलाह प्रदान की। उक्त जानकारी कैंपों का दौरा कर सेवा समर्पण संस्थान के सह संगठन मंत्री आनंद जी देते हुए बताया कि यह सेवा यात्रा जहां अपना 31वॉ मुकाम पूर्ण करने की स्थिति में हैं वही आगे लगातार प्रत्येक वर्षों में कैंप करने के लिए संकल्पित भी है जो स्वस्थ भारत सुंदर भारत की कल्पना को पूर्ण करेगा। विश्व आयुर्वेद परिषद के संगठन सह सचिव केके द्विवेदी ने कहा कि वर्तमान सरकार की अनुकूलता का परिणाम यह रहा कि हम पिछली बार जिन गांवों में जाने की कल्पना किए थे वहां आज आसानी से पहुंचकर कैंप पूर्ण करने में सफल रहे। आगे कहा उनकी इस यात्रा में कई गांव ऐसे मिले जहां असाध्य रोगी भी चिन्हित किए गए जिनका नाम और पता ले लिया गया है आगे उन्हें बाहर ले जाकर चिकित्सकीय उपचार कराया जाएगा।

गौरतलब हो कि आज कल व्यावसायिकता की अंधी दौड़ में शामिल हो चुके चिकित्सकों को भी अब अपने पेशे को लेकर चिंता सताने लगी है। हालांकि इस पेशे में बढ़ती व्यवसायिकता से सीनियर डॉक्टर काफी आहत हैं। वही कुछ ऐसे डॉक्टर भी है जिनमे अभी भी चिकित्सकीय पेशे के रूप में सेवाभाव जिंदा है। डॉ आशुतोष पाठक की माने तो बीमारी का कारण स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का अभाव है। उन्होंने कहा कि बीमारी के इलाज से बेहतर उसका बचाव करना जरूरी है। इसके लिए सभी को अपने ब्लड शुगर व उच्च रक्तचाप की जाँच अनिर्वाय रूप से करानी चाहिए। डॉ विजय राय का कहना है कि पुराने दिनों में हर फील्ड के लोग रुपए कमाने की अंधी दौड़ में शामिल होते थे, लेकिन डॉक्टरी पेशा इससे अछूता था। इसलिए डॉक्टरों को काफी सम्मान मिलता था। वर्तमान में स्थिति कुछ और ही है। इसके अलावा शासकीय सेवा से जुड़े डॉक्टर अभी भी सीमित संसाधनों के बाद भी अपने कर्तव्य को ईमानदारी के साथ पूरा कर रहे हैं। डॉ मनीष मिश्रा के अनुसार डॉक्टर होना सिर्फ एक काम नहीं है, बल्कि चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है। उन्होंने कहा कि युवा डॉक्टरों को डॉ. बिधानचंद्र राय की तरह जवाबदारी पूरी कर डॉक्टरी पेशे को बदनाम होने से बचाने के लिए पहल करनी होगी। डॉ देश निधि सिंह का कहना है कि यह दिन यह विचार करने के लिए है कि डॉक्टर हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वर्तमान में डॉक्टर पुराने सम्मान को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करता हुआ नजर आ रहा है। सेवा समर्पण संस्थान जिला सह मंत्री आलोक कुमार चतुर्वेदी ने कहा वर्तमान में डॉक्टरी ही एक ऐसा पेशा है, जिस पर लोग विश्वास करते हैं। इसे बनाए रखने की जिम्मेदारी सभी डॉक्टरों पर है। उनका मानना है कि डॉक्टर जब अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत करते हैं तो उनके मन में नैतिकता और जरूरतमंदों की मदद का जज्बा होता है, जिसकी वे कसम भी खाते हैं। कहां की कैंपों में जो चिकित्सक रह रहे हैं उनमे डॉ रमेश यादव, डॉ नेहा बिष्ट, डॉक्टर सी एस पांडे, डॉ नेहा चौधरी, डॉ राजेश कुमार, डॉ जीतू राम, डॉक्टर सुनीता राय, डॉ शांतनु तिवारी, डॉ मोनिका, डॉ सुशील सिंह, डॉ अमित सिंह, डां नदीम परवेज, डॉ शुभम महेश्वरी, डॉ ऋतु सिंह, डॉ अजय गुप्ता, डॉ राहुल सिंह रे, डॉ जुगल किशोर पांडेय,डॉ कृष्ण बिहारी, डॉ अल्पना नाथ, डॉ अनुराग पांडेय, डॉ ब्याडगी आदि प्रमुख हैं जो अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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