पानी बिन नहीं पड़ रही धान की नर्सरी

साधन संपन्न किसान ही डाल रहे धान का बीज, बाकी है निराश

आसमान में उमड़- घूमड़ रहे बादलों को निहार रहे किसान

शाहगंज~सोनभद्र(ज्ञानदास कन्नौजिया/आशुतोष सिंह)। जिले में मानसून भले ही समय से दस्तक दे दिया हो, लेकिन पानी का संकट अभी भी बना हुआ है। मानव समेत पशु- पक्षी जहां पानी के लिए परेशान हैं, वहीं पानी के अभाव में तमाम किसान धान की नर्सरी नहीं डाल पा रहे हैं। जिससे वे चिंतित नजर आ रहे हैं। धान की नर्सरी अभी वही किसान डाल रहे हैं जिनके पास निजी साधन और पर्याप्त पानी है। पहले ही सूख चुके जलस्रोत जैसे कुएं, पोखरे, नदी -नालों में पानी बरसने के बाद भी धूल उड़ रही है। ऐसा भी नहीं कि जिले में पानी नहीं बरसा,मगर एक बूंद पानी कहीं नजर नहीं आ रहा है। कुल

मिलाकर आज भी जनपद में पेयजल को लेकर त्राहि-त्राहि मचा हुआ है। उल्लेखनीय है कि हर साल गर्मी का महीना आते ही पेयजल की समस्या शुरू हो जाती है। सभी जल स्रोतों के सूख जाने से लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए परेशान नजर आते हैं। यह स्थिति इस वर्ष भी है। आषाढ़ का महीना भी आधा बीत गया। बावजूद जल स्रोत सूखे हुए हैं। ऐसे में किसान पेयजल की व्यवस्था करें या धान की नर्सरी डालें। जबकि धान की फसलों के नर्सरी डालने का सबसे उपयुक्त समय चल रहा है। सरकारी समितियों तथा निजी दुकानों पर धान के प्रजाति के बीज की उपलब्धता तो है मगर किसानों में धान की खरीद को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई दे रही है। इनका कहना है कि समय पर यदि मानसून सक्रिय हुआ तो समय पर धान की रोपाई क्या नर्सरी तक डालना संभव नहीं है।, वहीं पानी के अभाव में तमाम किसान धान की नर्सरी नहीं डाल पा रहे हैं। जिससे वे चिंतित नजर आ रहे हैं। धान की नर्सरी अभी वही किसान डाल रहे हैं जिनके पास निजी साधन और पर्याप्त पानी है। यहां तक कि तमाम इलाके में रवी फसलों की बुआई लायक भी बारिश नहीं हो रही है। पहले ही सूख चुके जलस्रोत जैसे कुएं, पोखरे, नदी -नालों में पानी बरसने के बाद भी धूल उड़ रही है। ऐसा भी नहीं कि जिले में पानी नहीं बरसा,मगर एक बूंद पानी कहीं नजर नहीं आ रहा है। कुल मिलाकर आज भी जनपद में पेयजल को लेकर त्राहि-त्राहि मचा हुआ है। उल्लेखनीय है कि हर साल गर्मी का महीना आते ही पेयजल की समस्या शुरू हो जाती है। सभी जल स्रोतों के सूख जाने से लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए परेशान नजर आते हैं। यह स्थिति इस वर्ष भी है। आषाढ़ का महीना भी आधा बीत गया। बावजूद जल स्रोत सूखे हुए हैं। ऐसे में किसान पेयजल की व्यवस्था करें या धान की नर्सरी डालें। जबकि धान की फसलों के नर्सरी डालने का सबसे उपयुक्त समय चल रहा है। सरकारी समितियों तथा निजी दुकानों पर धान के प्रजाति के बीज की उपलब्धता तो है मगर किसानों में धान की खरीद को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई दे रही है। इस सम्बन्ध में घोरावल ब्लॉक अंतर्गत बालडीह के अशोक कुमार, ढुटेर के विजय कुमार, छविद्रनाथ, विनोद कुमार मौर्य,रामनाथ चौहान, गिरजा सिंह, शिव प्रसाद विश्वकर्मा, रामविलास पटेल आदि का कहना है कि समय पर यदि मानसून सक्रिय हुआ तो समय पर धान की रोपाई क्या नर्सरी तक डालना संभव नहीं है।

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