मुनीर बख्श आलम को साहित्यकारों ने किया याद

तृतीय पुण्यतिथि पर कवि ईश्वर विरागी ‘आलम स्मृति सम्मान’ से किए जाएंगे सम्मानित: राकेश शरण मिश्र

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव) । ..’मज़हब नहीं ईमान पढ़े जाते हैं , चेहरे नहीं इंशान पढ़े जाते हैं , सोनभद्र वो जनपद है जहाँ एक साथ गीता और कुरान पढ़े जाते हैं’ ऐसे ही मोहब्बत और मिल्लत के गीतकार यथार्थगीता भाष्य के उर्दू तर्जुमाकार और हिन्दी- उर्दू – भोजपुरी के काया प्रवेशी कवि- शायर मुनीर बख़्श आलम की शुक्रवार को तृतीय पुण्य तिथि पर उन्हें साहित्यकारों ने याद किया है । आभासीय मीटिंग में निर्णय लिया गया है कि शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले हिन्दी विषय के प्रवक्ता और कवि गीतकार ईश्वर विरागी जी को वर्ष 2022 का ‘आलम स्मृति सम्मान’ से सम्मानित किया जाएगा । यह जानकारी शुक्रवार को सोन साहित्य संगम के संयोजक राकेश शरण मिश्र ने दी । उन्होंने बताया कि प्रख्यात कवि, शायर व विचारक मुनीर बख़्श आलम के कृतित्व- व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया और उन्हें उनकी चक्की पुण्यतिथि पर याद कर श्रद्धांजलि दी गई । श्री मिश्र ने बताया कि अध्यक्षता करते हुए संस्था के निदेशक वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने कहा की आलम अपने व्यक्तित्व में ‘लीजेंड’ बन गए थे । उनका मिजाज सूफियाना था । उनकी शायरी दिल को छूती ही नही , आज भी दिल मे उतर जाती है । पराए आंशू उनके अपने आंशू बन गए हैं । पत्रकार भोलानाथ मिश्र ने कहा की वे मोहब्बत और मिल्लत के अमर गीतकार थे , वे कहा करते थे —
‘ मोहब्बत और मिल्लत का करो माहौल तुम पैदा ,
तुम्हारे हांथ में शमसीर अब अच्छी नही लगती ‘।
संस्था के संयोजक एवं कवि राकेश शरण मिश्र ने कहा कि आज की जो आदमी की तस्वीर उभड़ के जून महीने में आई है ऐसे में यक्ष- प्रश्न यह है कि अगले समयों में आदमी कितना आदमी रह जाएगा ? ऐसे में आलम साहब की याद आती है जो सोनभद्र के रहीम रसखान की तरह सौहार्द की जगमगाती एक ऐसी मीनार की भांति थे जो एकात्मकता के उदाहरण थे ।
संस्था के संरक्षक डॉक्टर ओम प्रकाश त्रिपाठी और पंडित पारसनाथ मिश्र, उपनिदेशक सुशील कुमार ‘राही’ कवि एवं पत्रकार राजेश द्विवेदी ‘राज’, दिवाकर द्विवेदी ‘मेघ विजयगढी’, सरोज सिंह आदि साहित्यकारों ने भी स्मृति शेष आलम साहब की स्मृतियों को याद कर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की ।


जीवन परिचय
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1 जुलाई , 1943 को बनौरा गांव में जन्में आलम साहब ‘दिव्य प्रभा’ आध्यात्मिक स्मारिका के प्रधान संपादक और शक्तेशगढ़ परमहंस आश्रम से प्रकाशित यथार्थगीता भाष्य के ऊर्दू अनुवादक थे । हिंदी , संस्कृत ,अंग्रेजी के जानकर कवि व शायर आलम साहब एक अच्छे इंशान थे । वे हिन्दू -मुस्लिम एकता की मशाल लेकर उम्मीद की जगमगाती किरण की तरह थे । स्वामी अड़गड़ानंद जी और विहिप के प्रसिद्ध नेता अशोक सिंहल जी से उनके निकट के सम्बंध थे । उनके अनुवाद को देश की नामी गिरामी हस्तियों ने पत्र लिख कर पसंद किया था । संस्था हर साल किसी एक सुयोग्य व्यक्ति को जो शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए जाने जाते है ‘आलम स्मृति सम्मान’ से सम्मानित करती है । इस वर्ष जनपद के लोकप्रिय गीतकार एवं शिक्षाविद ईश्वर विरागी जी को सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है।

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