सोनांचल के लिए मील का पत्थर साबित होगा विजय विनीत का संघर्ष!

जिले के मानक विहीन अस्पतालों और पैथोलॉजी की अब खैर नहीं।

सोनभद्र ‌। नगर स्थित पंचशील अस्पताल में गुड्डी यादव की हुई मौत प्रकरण में यह साबित हो गया है कि उसके उपचार में लापरवाही बरती गई । यही आरोप मृतका के बेटे ने भी लगाया था और यही स्वतंत्र पत्रकार विजय विनीत ने लिखा भी था। उपरोक्त प्रकरण में जिस तरह पंचशील अस्पताल के संचालक ने कुछ लोगों के जरिए संघर्षशील पत्रकार व समाजसेवी विजय विनीत को जब धमकी देने का काम शुरू किया तो उन्होंने जो कहा उसे सब ने सुना । मुख्य चिकित्सा अधिकारी

ने इस प्रकरण की जांच के लिए अधिकारियों की जो टीम गठित की थी उसने अपनी रिपोर्ट 3 जून को ही उन्हें सौंप दिया है। निष्कर्ष यह निकला है की उपचार के दौरान लापरवाही बरती गई। इसका मतलब साफ है कि गुड्डी यादव पत्नी गुलाब यादव निवासी लोहर तलिया की मौत का जिम्मेदार पवित कुमार मौर्या है। ऐसे में अब जिला प्रशासन व मुख्य चिकित्सा अधिकारी को चाहिए की वह अस्पताल संचालक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या यानी धारा 304 और सबूत नष्ट करने की धारा 201 मामले को दबाने के लिए तमाम साजिशें करना आदि में प्राथमिकी दर्ज कराएं और मृतका के परिजनों को दस लाख का मुआवजा भी उक्त अस्पताल द्वारा दिया जाना चाहिए।साहसी व दिलेर स्वतंत्र पत्रकार विजय विनीत का कहना है कि लोग यह भ्रम पाल रखे हों तो निकाळ दें की विजय विनीत डर गए, वे आगे कहते हैं कि गुड्डी की मौत के जिम्मेदार लोगों को जेल की सलाखों तक पहुंचाने तक लड़ाई जारी रहेगी। गौरतलब हो कि सोनभद्र में पत्रकारों ने बड़ी बड़ी लड़ाइयां जीती है। उदाहरण के तौर पर जनपद के रन टोला मुठभेड़ कांड में 15 पुलिसकर्मी यदि जेल में हैं तो यह श्रेय पत्रकारों को जाता है। अनपरा कोयला चोरी में सीबीआई का छापा पत्रकारों की देन है। मनरेगा घोटाले में 100 से अधिक लोगों को आरोपी बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका पत्रकारों की ही है। जेपी द्वारा हड़पी गई जमीन का खुलासा करना पत्रकारों की देन है। तमाम ऐसे मामले है जिसमे पत्रकारों ने गाली सहकर मुकदमा झेल कर सफलता प्राप्त की है। विजय विनीत का मानना है कि इस मामले में भी जिस तरह पत्रकार भाई व सामाजिक कार्यकर्ता कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं उससे हमारा हौसला बढ़ा है और मुझे उम्मीद है मैं रहूं या ना रहूं अब गुड्डी की लड़ाई इस जनपद के लोगों की लड़ाई बनेगी और इस गुड्डी की लड़ाई प्रतिवर्ष इस तरह सोनभद्र के मानक विहीन अस्पतालों में दम तोड़ने वाली तमाम गुड्डियों की जान बचाने में मील का पत्थर साबित होगा।

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