विश्व पर्यावरण दिवस पर वृक्षारोपण व पौधा वितरण का कार्यक्रम हुआ आयोजित

पर्यावरण संरक्षण में वृक्षारोपण का योगदान” विषयक गोष्ठी का हुआ आयोजन

पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण का दिलाया गया संकल्प

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। संस्कृति, साहित्य, कला, पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन, पर्यटन विकास के क्षेत्र में अनवरत दो दशकों से कार्यरत विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट एवं सोनघाटी पत्रिका के प्रधान संपादक दीपक कुमार केसरवानी की दादी पार्वती देवी की पावन स्मृति में ट्रस्ट द्वारा रविवार विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जनपद मुख्यालय के जयप्रभा मंडपम में” पर्यावरण संरक्षण में वृक्षारोपण का योगदान” विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।
जिसमें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में रहे भूतपूर्व वरिष्ठ होम्योपैथ चिकित्सक डॉ कुसुमाकर श्रीवास्तव ने कहा कि-“होम्योपैथ एवं पर्यावरण का अटूट संबंध रहा है, इस

चिकित्सा के जनक महात्मा ने हेनीमैन ने वृक्षों के छाल से ही प्रथम बार होम्योपैथ दवा का निर्माण किया था और आज भी इस पैथी के दवा के निर्माण में प्रचुर मात्रा में वृक्षों, वनस्पतियों के छाल, रस आदि प्रयोग होता है। सोनभद्र जनपद में चिकित्सा में कारगर जड़ी- बूटियों से दवा का निर्माण किया जा सकता है और इसके लिए सरकार को एक अनुसंधान केंद्र की स्थापना करनी चाहिए। कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-“पृथ्वी के पर्यावरण का संरक्षण वृक्षारोपण के ही माध्यम से संभव है। एक वृक्ष सौ पुत्रों के समान है,वृक्ष हमारे पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं और मानव को ऑक्सीजन एवं ईंधन की पूर्ति साथ- साथ वर्षा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं, समय पर ऋतुओं का न बदलना, अनियमित रूप से बरसात तमाम प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं, पर्यावरण प्रदूषण का प्रतिफल है। पेड़- पौधों के अपने-अपने गुण होते हैं जिसके आधार पर इनका धार्मिक, औषधीय, सामाजिक महत्व होता है। हर व्यक्ति को अपने घरों की छत,आंगन, मुख्य द्वार, खेत- खलियान जहां कहीं भी जगह मिले वहां पर वृक्षारोपण करना चाहिए यथा तुलसी, आंवला, बरगद, पीपल, नीम, गुरुच इत्यादि के पौधों का रोपण करना चाहिए। जिसका औषधीय गुण हम सभी को ज्ञात है और हमारे भारतीय धर्म शास्त्रों में वृक्षों में देवी- देवताओं का वास माना गया है। ऐसा हमारे पुरखों ने इसलिए किया कि ताकि हम पेड़ को नष्ट न करें और पेड़ों का संरक्षण करें। ताकि जंगल कायम रहे और हमारा पर्यावरण शुद्ध रहे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभाकर श्रीवास्तव ने कहा कि-“वृक्ष हमारे जीवन एवं वर्षा का आधार है और हमें हर हालत में जहां भी उपयुक्त जगह उपलब्ध हो वहां पर वृक्षारोपण करना चाहिए ताकि हमारा पर्यावरण शुद्ध रह सके। वही गृहणी साधना श्रीवास्तव अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-“नारी ही संस्कृति, साहित्य, कला एवं पर्यावरण सरक्षण करती हैं। प्रत्येक नारी अपने घर के आंगन में तुलसी, शमी आदि तमाम प्रकार के फूलों वाले वृक्षों को रोपित कर पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ अपनी धार्मिक आस्था एवं विश्वास का परिचय देती हैं। सावन के महीने में नीम की पेड़ की पूजा, वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा, तुलसी विवाह के अवसर पर तुलसी पेड़ की पूजा कर जाने- अनजाने में पर्यावरण के संरक्षण,संवर्धन और वृक्षों के विकास योगदान देती हैं। कार्यक्रम का सफल संचालन ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी व युवा पत्रकार हर्षवर्धन केसरवानी ने किया। वही जयप्रभा मंडपम परिसर में अतिथियों द्वारा वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर समर्थ, कुशांक, लक्ष्मी श्रीवास्तव, दिवाकर श्रीवास्तव, विनीता, राजेंदर चौबे, साक्षी, हीरा पांडेय, आयुषी पांडे, रानी, राजेश, बबुंदर सहित आदि पर्यावरण प्रेमी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी द्वारा वहां उपस्थित सभी लोगों को एक एक पौधा भेंट कर पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण का संकल्प दिलाया गया।

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