आवंटित कोयला में कटौती का फरमान संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध: वर्कर्स फ्रंट

ग्लोबल और कारपोरेट पूंजी के निर्देशन में काम कर रही है केंद्र सरकार

सोनभद्र। विदेशी मंहगा कोयला से इंकार कर रहे राज्यों को मोदी सरकार द्वारा आवंटित कोयला में 40 फीसद कटौती करने के फरमान को अनुचित बताते हुए वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहा कि इससे देश में जारी बिजली संकट और गहरा सकता है। वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष श्री कपूर ने कहा कि राज्यों के बिजली प्रोजेक्ट्स को कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने की जवाबदेही केंद्र की है, इस बाबत बिजली प्रोजेक्ट्स और कोल इंडिया लिमिटेड के मध्य समझौते भी हैं। ऐसे में विदेशी मंहगे कोयला आयात से इंकार करने पर आवंटित कोयला में 40 फीसद कटौती का निर्णय संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध है। आरोप लगाया कि कोयला आपूर्ति के गंभीर

संकट हल करने के बजाय मोदी सरकार की दिलचस्पी ग्लोबल और कारपोरेट पूंजी के हितों की रक्षा करना है। दरअसल ग्लोबल-कारपोरेट पूंजी के निर्देशन में काम कर रही मोदी सरकार राष्ट्रीय हितों को कुर्बान करने पर आमादा है।
वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष ने कहा कि अभियंताओं व बिजली कामगारों के इन आरोपों का पर्याप्त आधार है कि अदानी समूह को विदेशी कोल ट्रेडिंग में मुनाफाखोरी के लिए इस तरह के हालात पैदा किये गए हैं। उन्होंने कहा कि वक्त रहते सरकार अगर चाहती तो कोयला आपूर्ति संकट से आसानी से निपट सकती थी और विदेशी मंहगे कोयला आयात की जरूरत ही न पड़ती। अब तो विशेषज्ञों का मत आ रहा है कि कोयला आयात के इस निर्णय में भी इतनी देरी हो चुकी है कि अब प्रोजेक्ट्स तक विदेशी कोयला पंहुचाना बेहद मुश्किल काम होगा। उन्होंने कहा कि कोयला आपूर्ति संकट हल करने के बजाय इस मौके का उपयोग बिजली की दरों को बढ़ाने और ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाने में किया जा रहा है। जोकि कोयला खनन (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015, खनिज कानून (संशोधन) अधिनियम 2020 का लक्ष्य है।

Translate »