निराले व्यक्तित्व के धनी हैं रामशकल जी: श्यामकिशोर

कहां राष्ट्रीय बांस मिशन का लाभ जंगल पहाड़ के किसानों को मिले

भोलानाथ मिश्र (विशेष संवाददाता द्वारा)

सोनभद्र । जनपद के प्रतिष्ठित साहित्यकार और सामाजिक जीवन के सरोकारों से जुड़े श्याम किशोर जायसवाल ने बुधवार को राज्यसभा सदस्य रामशकल के व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला । बतौर श्री जायसवाल

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ किसान नेता कहते हैं कि रामशकल जी का जन्म प्राकृतिक संपदा से धनी किंतु अत्यधिक पिछड़े आदिवासी बहुल जिला सोनभद्र के चोपन विकासखंड के सुदूर शिल्पी गाँव में 21मार्च 1963 में हुआ था। बाल्यकाल से गंभीर प्रकृति के रामशकल जी की सोच दूर की थी। अपने आस- पास निवास कर रहे वंचित जनों की दुर्दशा देख आपका बाल मन आक्रोश से भर उठता था। प्राइमरी स्कूल के शिक्षक द्वारा डा. भीमराव आम्बेडकर के जीवन चरित से अवगत कराने पर आपने निश्चय किया कि उच्च शिक्षा ही उन्हें वंचित मानवता की सेवा का अवसर दे सकती है। दूरंत पिछड़े शिल्पी गाँव से शुरू स्नातकोत्तर तक की शिक्षा का आपका सफर चुनौतियों और कठिनाईयों से भरा रहा। वर्ष 1986 में आपने राजनीति शास्त्र से एम.ए. किया। किशोरावस्था में ही आपका जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से हुआ। 11वर्ष की उम्र में ( वर्ष 1974 ) ही आप संघ से जुड़ गये। अपने अंचल की गरीबी, वंचना से आक्रोशित आपके किशोर मन में बार-बार आवाज उठती थी कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही एक मात्र संगठन है,जो इसका प्रतिकार कर सकता है। अस्तु आपने अपनी शिक्षा के दौरान ही स्वयं को संघ की गतिविधियों में समर्पित कर दिया। इसी क्रम में आपने वर्ष 1988 से 1996 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक के कठिन दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन किया, जिसका सुफल आपको तत्काल मिला। भारतीय जनता पार्टी ने 1996 में आपको राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया। मिर्जापुर व सोनभद्र में संघ के प्रचारक के रूप में किया गया आपका कठिन परिश्रम व लोक संपर्क तथा बिरादरी के दो जन नेताओं – स्व.ईश्वर प्रसाद व तीरथराज जी की जनहितकारी छवि ने जनमानस में आशा का संचार किया और आप भारी मतों से सांसद निर्वाचित हुए। अपने जन जुड़ाव, परिश्रम और ईमानदारी के कारण आपने लगातार तीन बार इस संसदीय क्षेत्र से सांसद निर्वाचित होने का कीर्तिमान बनाया। संप्रति आप देश के उच्च सदन राज्यसभा में किसान नेता के रूप में नामित सदस्य हैं।
श्याम किशोर जयसवाल कहते हैं कि हम सोनांचल वासियों का आपसे आग्रह है कि यहाँ पर स्थापित उद्योगों, बिजलीघरों, कोयले की खदानों के सी.एस.आर. फण्ड का हजारों करोड़ रूपया जो स्थानीय विकास के लिए है न जाने कहाँ खर्च किया जाता है। जो कुछ थोड़ी राशि स्थानीय ( सोनभद्र, सिंगरौली ) के जिलाधिकारियों को आवंटित होती है, वह भी ढाँचागत विकास में खर्च की जाती है,जबकि ढाँचागत विकास के लिए डी.एम.एफ. जैसे कई बड़े फण्ड यहाँ आवंटित है। अस्तु स्थानीय उद्योगों व एनसीएल के सीएसआर
का फण्ड स्थानीय किसानों की कृषि और वानिकी के विकास में खर्च किया जाय। उपरोक्त दोनों जिलों के किसानों के पास ढलुवाँ डाँड.-बगार जैसी कम उपजाऊ काश्त की जमीन है, जिसमें वे तिल्ली, परबत्ती, कही-कहीं अरहर बोते हैं, जिसका समुचित लाभ किसानों को नहीं मिल पाता। यदि सी.एस.आर. के फण्ड से उपरोक्त जमीनों का लोहे के एंगल व जाली से पक्का घोरानकर, बोरिंग, ओवरहेड टैंक, सोलर ऊर्जा व ड्रिप एरिगेशन सिस्टम विकसित कर बाँस, चंदन.गम्हार, चिरौंजी, अंजीर जैसे स्थानीय जलवायु में विकसित होने वाले न जाने कितने ही पेड़ हैं की व्यावसायिक वानिकी कराकर स्थानीय किसानों को प्रति वर्ष लाखों रूपयों की आमदनी कराई जा सकती है। सूच्य हो कि यहाँ की कोयले की खदानों के विस्तार व नये उद्योगों की स्थापना में लाखों पेड़ों की कटाई प्रति वर्ष होती है और कार्बन ट्रेडिंग के तहत उसके दस गुना पेड़ वन भूमि के अभाव में अन्य प्रदेशों को वानिकी के लिए सीएसआर फण्ड से धनराशि आवंटित होती है। यदि यहाँ के किसानों की जमीन पर उपरोक्त फण्ड से वानिकी कराई जाय तो स्थानीय जनों की आमदनी में गुणात्मक विकास होगा। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 5 राष्ट्रीय मिशनों में सर्वाधिक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय बाँस मिशन है और सोनभद्र सिंगरौली की भूमि बाँस के लिए सर्वोत्तम है। ऐसे में एनसीएल व अन्य स्थापित उद्योगों व बिजलीघरों के शीर्ष प्रबंधन से संवाद कर उपरोक्त दोनों जिलों के किसानों की कृषि भूमि पर बाँस की व्यावसायिक वानिकी कराने की व्यवस्था करें। इससे न केवल किसानों को लाभ होगा बल्कि ऊर्जांचल के पर्यावरण की भी शुद्धि होगी। क्षेत्रीय जनों का विश्वास है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ‘राष्ट्रीय बाँस मिशन’ का भरपूर लाभ आपके नेतृत्व में जंगल पहाड़ की कम उपजाऊ जमीन में खेती कर जीवन यापन कर रहे दलित-आदिवासी किसानों को मिलेगा।

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