जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से विवाह में गठबंधन का विधान क्यों?

जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से विवाह में गठबंधन का विधान क्यों?

विवाह में गठबंधन का विधान क्यों?

गठबंधन विवाह संस्कार का प्रतीकात्मक स्वरूप है। पाणिग्रहण के बाद वर के कंधे पर डाले सफेद दुपट्टे में वधू की साड़ी के एक कोने की गांठ बांध दी जाती है, इसे आम बोलचाल की भाषा में गठबंधन बोलते हैं। इस बंधन का प्रतीक अर्थ है-दोनों के शरीर और मन का एक संयुक्त इकाई के रूप में एक नई सत्ता की शुरुआत। अब दोनों एक-दूसरे के साथ पूरी तरह से बंधे हुए हैं और उनसे यह आशा की जाती है कि वे जिन लक्ष्यों के साथ आपस में बंधे हैं, उन्हें आजीवन निरंतर याद रखेंगे। जीवन लक्ष्य की यात्रा में वे एक-दूसरे के पूरक बनकर चलेंगे। इसीलिए गठबंधन को अटूट अर्थात् कभी न टूटने वाला अजर और अमर माना गया ह है।

गठबंधन करते समय वधू के पल्ले और वर के दुपट्टे के बीच सिक्का (पैसा), पुष्प, हलदी, दूर्वा और अक्षत (चावल) ये पांच चीजें भी बांधते हैं, जिनका अपना-अपना महत्त्व है। विवाह पद्धति के अनुसार यह
महत्त्व इस प्रकार है सिक्का (पैसा)-धन पर किसी एक का पूर्ण अधिकार नहीं होगा, बल्कि समान अधिकार रहेगा। पुष्प-प्रतीक है, प्रसन्नता और शुभकामनाओं का। सदैव हंसते खिलखिलाते रहें । एक-दूसरे को देखकर प्रसन्न हों। एक-दूसरे की प्रशंसा करें। अपमान न करें।

हलदी-आरोग्य और गुरु का प्रतीक है। एक-दूसरे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुविकसित रखने के लिए प्रयत्नशील रहें। मन में कभी लघुता व्याप्त न होने दें ।

दूर्वा-कभी प्रेम भावना न मुरझाने का प्रतीक है। उल्लेखनीय है कि दूर्वा का जीवन तत्त्व कभी नष्ट नहीं होता। सूखी दिखने पर भी यह पानी में डालने पर हरी हो जाती है। दोनों के मन में इसी प्रकार से एक-दूसरे के लिए अटूट प्रेम और आत्मीयता बनी रहे। चंद्र-चकोर की भांति वे एक-दूसरे पर निछावर होते रहें।

अक्षत (चावल)-अन्नपूर्णा का प्रतीक है। जो अन्न कमाएं, उसे अकेले नहीं, बल्कि मिल-जुलकर खाएं। परिवार, 1. समाज के प्रति सेवा एवं उत्तरदायित्व का लक्ष्य भी ध्यान में रखें। इसी की प्रेरणा के लिए अक्षत रखे जाते हैं।

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