धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से अश्विनी नक्षत्र में जन्मी जातिकाये
अश्विनी नक्षत्र में जन्मी जातिकाये
अश्विनी नक्षत्र को सम्पूर्ण मेष राशि का प्रतिनिधित्व करने वाला नक्षत्र माना गया है। मेष राशि का स्वामित्व मंगल को दिया गया है। ‘जातक पारिजात’ में कहा गया है।
अश्विनी नक्षत्र में जन्मी जातिकाओं में प्रायः उपरोक्त चारित्रिक विशेषताएं होती हैं। अश्विनी नक्षत्र में जन्मी जातिकाओं के व्यक्तित्व में एक चुम्बकीय आकर्षण होता है। जातकों की तुलना में उनके नेत्र मीन की भांति छोटे एवं चमकीले होते हैं।
अश्विनी नक्षत्र में जातिकाएं धैर्यवान, शुद्ध हृदय और मीठी वाणी की धनी होती हैं। वे परंपराप्रिय, बड़ों का आदर करने वाली तथा विनम्र भी होती हैं। ऐसी जातिकाओं में काम भावना कुछ प्रबल पायी जाती है।
ऐसी जातिकाएं यदि अच्छी शिक्षा या जाएं तो वे एक कुशल प्रशासक भी बन सकती हैं। लेकिन वे परिवार के लिए अपनी नौकरी त्यागने में भी नहीं हिचकतीं। परिवार का कल्याण, उसका सुख ही उनकी प्राथमिकता होती है।
विवाह 👉 कहा गया है कि ऐसी जातिकाओं का विवाह तेइस वर्ष के बाद ही करना चाहिए अन्यथा दीर्घ अवधि के लिए पति से विछोह या तलाक अथवा पति के चिरवियोग के भी फल बताये गये हैं।
संतानः 👉 ऐसी जातिकाओं को पुत्रों की अपेक्षा पुत्रियां अधिक होती हैं। वे अपनी संतान का पर्याप्त श्रेष्ठ रीति से पालन-पोषण करती हैं। एक फल यह कहा गया है कि यदि अश्विनी के चतुर्थ चरण में स्थित शुक्र पर चंद्रमा की दृष्टि पड़े अर्थात् चंद्रमा तुला राशि में हो तो संतानें तो अधिक होती हैं, पर बच कम पाती हैं।
स्वास्थ्यः 👉 ऐसी जातिकाओं का स्वास्थ्य प्रायः ठीक ही रहता है। जो भी व्याधियां होती हैं वे अनावश्यक चिता एवं मानसिक अशाति के कारण। ऐसी स्थिति निरंतर बनी रहने पर मस्तिष्क विकार की भी आशंका प्रबल रहती है। ऐसी जातिकाओं को रसोई घर में भोजन बनाते वक्त आग से कुछ ज्यादा सावधान रहने की चेतावनी भी दी जाती है। वे शीघ्र ही दुर्घटनाग्रस्त भी हो सकती हैं।
क्रमशः… आगे के लिख मे हम भरणी नक्षत्र के के जातको से जुड़े शुभाशुभ पहलुओं के विषय मे चर्चा करेंगे।