राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में दो दिवसीय इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव एवं इन्वेस्टर्स मीट का शुभारंभ

संवाददाता–संजय सिंह/दिनेश गुप्ता

राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज सोनभद्र में दो दिवसीय इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव एवं इन्वेस्टर्स मीट का शुभारंभ प्रो. पी.के.मिश्रा कुलपति डॉ ए.पी.जे.अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के प्रख्यात उद्यमी एवं नव प्रवेशी इस्टार्टअप के प्रतिनिधियों का आपसी समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया गया नव प्रवेश उद्यमी अपने स्टार्टअप विचार का प्रस्तुतीकरण निवेशकों के सम्मुख विभिन्न चरणों में आज किए और उत्तम प्रकृति के स्टार्टर इन्नोवेशन को प्रस्तुति के पश्चात निवेशकों द्वारा पसंद आने पर उनके स्टार्टअप में निवेश किया जाएगा।

आज के कार्यक्रम में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ एस.पी.मिश्रा राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज बांदा ,कन्नौज एवं अंबेडकरनगर के निदेशक गण डॉ. एस.पी.शुक्ला प्रोफेसर मनोज शुक्ला प्रोफेसर संदीप तिवारी सिननी पंखे के जन्मदाता प्रख्यात उद्यमी श्री प्रशांत अग्रवाल भारतीय औद्योगिक संघ वाराणसी के महासचिव श्री राजेश भाटिया सहित अन्य प्रख्यात उद्यमियों एवं विषय विशेषज्ञों ने संबोधित किया। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर जी.एस. तोमर ने बताया कि यह कार्यक्रम सोनभद्र ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश को एक नई दिशा देने वाला है प्रारंभ में आए हुए गणमान्य व्यक्तियों ने संस्थान परिसर में वृक्षारोपण किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री आलोक कुमार ने ऑनलाइन माध्यम से अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की

हर्बल सेनीटाइजर ‘हेण्ड-वास’ का प्रदर्शन
राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज सोनभद्र में दो दिवसीय इंडस्ट्रियल कांक्लेव व इन्वेस्टर्स मीट के पहले दिन संस्थान में विकसित हर्बल सेनीटाइजर ‘हर्ब-वास’ का प्रदर्शन किया गया. मुख्य शोधकर्ता व संस्थान के सहायक प्राध्यापक डॉ हरीश चंद्र उपाध्याय ने बताया कि इस सैनिटाइजर को बनाने में परिसर में ही सामान्य रूप से उगने वाली घास Alysicarpus का इस्तेमाल किया गया है जिसमें की बैक्टीरिया आदि को मारने की क्षमता है. इसमें सुगंध के लिए गेंदा व गुलाब आदि के पुष्प का उपयोग किया गया है. पूर्ण रूप से प्रभावी इस सैनिटाइजर में मात्र 15 से 20% एल्कोहल है, जबकि बाजार में उपलब्ध सामान्य सैनिटाइजर में 70 से 80% अल्कोहल पाया जाता है. डॉ उपाध्याय ने संस्थान की इस उपलब्धि का श्रेय संस्थान के निदेशक प्रोफेसर जी एस तोमर को दिया है जिन्होंने ऐसे इन्नोवेटिव विचार को सदैव प्रोत्साहित किया.

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