देश के न्यायालयों में ‘डिकी’ के स्थान पर स्थापित हो चित्रगुप्त की प्रतिमा: राकेश शरण

संयुक्त अधिवक्ता महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। भारत के सभी न्यायालयों में स्थापित विदेशी (यूनानी) समाजसेविका ‘डिकी’ के स्थान पर ब्रहमांड के न्यायाधीश चित्रगुप्त जी की प्रतिमा स्थापित किए जाने हेतु संयुक्त अधिवक्ता महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष राकेश शरण मिश्र ने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर गुहार लगाई है। उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि डिकी का भारतीय संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है। यह केवल अंग्रेजी गुलामी का प्रतीक है, जिसको न्यायालय में देखने पर अंग्रेजी दासता का बोध होता है। श्री मिश्र ने यह भी कहा है कि भारतीय सनातन संस्कृति और तमाम धर्म शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेखित है कि ब्रह्मांड में निवास करने वाले भगवान चित्रगुप्त ही परम न्यायाधीश है। ऐसे में अंग्रेजी दासता और गुलामी की प्रतीक आंख पर पट्टी बांधे रखने वाली यूनानी

समाज सेविका डीकी की प्रतिमा को अभिलंब हटाकर उनके स्थान पर सनातन संस्कृति धर्म और रक्षा तथा न्याय के प्रतीक भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा को देश के समस्त न्यायालयों में स्थापित करा कर भारतीय सनातन संस्कृति को प्रतिस्थापित करने का कार्य करेंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री मिश्र ने प्रधानमंत्री को लिखे इस पत्र की प्रतिलिपि राष्ट्रपति, कानून एवं न्याय मंत्री भारत सरकार, महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश, प्रदेश के मुख्यमंत्री, न्याय एवं कानून मंत्री को भी प्रेषित किया है।

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