सात दोषियों को 5-5 वर्ष की कैद

  • प्रत्येक पर 17-17 हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद
  • साढ़े आठ वर्ष पूर्व हुई गीता देवी हत्याकांड का मामला

विधि संवाददाता द्वारा

सोनभद्र। जमीनी विवाद को लेकर साढ़े आठ वर्ष पूर्व हुई गीता देवी हत्याकांड के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय राहुल मिश्रा की अदालत ने वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर सात दोषियों ओमप्रकाश कुशवाहा, जयप्रकाश कुशवाहा, मुन्नीलाल कुशवाहा, राजदेव कुशवाहा, ललिता, विफनी देवी व पनपती को 5-5 वर्ष की कैद एवं प्रत्येक को 17-17 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं अर्थदंड न देने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक दुद्धी कोतवाली क्षेत्र के दुमहान गांव निवासी लक्ष्मन सिंह पुत्र बचऊ राम ने 8 अगस्त 2013 को दी तहरीर में अवगत कराया था कि 24 जुलाई 2013 को अपनी पत्नी गीता देवी के नाम 32 बिस्वा जमीन गांव के राजेंद्र कुशवाहा से बैनामा लिया था। 7 अगस्त 2013 को सुबह साढ़े 9 बजे सुबह उसकी पत्नी गीता देवी खेत देखने गई थी। उसी समय पता चला कि उसकी खरीदी जमीन को ओमप्रकाश कुशवाहा वगैरह उसकी फसल को पलट रहे हैं। सूचना मिलते ही वह अपने भाई हरखमन सिंह भी खेत की तरफ बढ़े। तभी जब उसकी पत्नी गीता देवी ने अरहर और तिल की फसल पलटने से रोका तो मक्के के खेत में छिपे मुन्नीलाल, जयप्रकाश, राजदेव समेत अन्य अभियुक्तगणों को ओमप्रकाश ने ललकारते हुए कहा कि इन्हें जान से मार डालो। इतना सुनते ही उसकी पत्नी गीता देवी एव भाई हरखमन सिंह को जान मारने की नीयत से लाठी-डंडा एव कुल्हाड़ी से मारने लगे। मौके पर कई लोगों के आ जाने से जान मारने की धमकी देकर सभी भाग गए।जब मौके पर देखा तो गीता देवी एवं भाई हरखमन सिंह बेहोश मिले। जिन्हें तत्काल प्राइवेट वाहन से दुद्धी अस्पताल ले जाया गया, जहां पर गीता देवी को मृत घोषित कर दिया गया। इस तहरीर पर 8 अगस्त 2013 को एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना की गई। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर 27 अगस्त 2013 को न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषियों ओमप्रकाश कुशवाहा, जयप्रकाश कुशवाहा, मुन्नीलाल कुशवाहा, राजदेव कुशवाहा, ललिता, विफनी देवी व पानपती को 5-5 वर्ष की कैद एवं प्रत्येक पर 17 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से अभियोजन अधिकारी विजय यादव ने बहस की।

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