होली मिलन समारोह का हुआ आयोजन

सोनभद्र{सर्वेश श्रीवास्तव}। साहित्य कला संस्कृति के क्षेत्र में अनवरत रूप से स्वागत बंसल 30 और समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट की ओर से प्रधान कार्यालय में होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विचार गोष्ठी/ काव्य गोष्ठी के आयोजक एवं ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-प्रेम सौहार्द भाईचारे का त्यौहार होली के अवसर पर आदिकाल से हम एक दूसरे को बधाई संदेश देकर गले मिलने रंगों की होली खेलने की परंपरा आज भी कायम है रंग हमारे जीवन को उत्साहित कर नव स्फूर्ति प्रदान कर सफलता के डगर पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। मात्र त्यौहार ही नहीं बल्कि कलर थेरेपी का सिद्धांत यहां पर लागू होता है रंगों के माध्यम से मनुष्य

अपने आप को स्वस्थ रख सकता है। इसी उद्देश्य हमारे प्राचीन ऋषि यों मनीषियों ने होली रंगो की होली खेलने की विधा बनाया और प्राचीन काल में टेसू के फूलों सब्जियों अन्य फूलों के रस से रंग तैयार किया जाता था और इस रंग में सराबोर होकर मनुष्य अपने स्वास्थ्य का रक्षण किया करता था आज भी यह प्रथा कायम है कलर थेरेपी के माध्यम से मनुष्य के जटिल से जटिल रोगों का इलाज भी होता है। मेहंदी महावर गोदना आदि कलर थेरेपी के सिद्धांत पर संचालित है।
विचार गोष्ठी में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हुए करते हुए रामनाथ शिवेंद्र ने कहा कि हमारे भारतीय साहित्य में होली का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है और इस त्यौहार के पीछे आध्यात्मिक धार्मिक सामाजिक तथ्य छिपे हुए हैं होली से संबंधित लोक कथाएं लोक गीतों का वाचन गायन हमारे भारतीय संस्कृति का प्रतीक है आज भी ढोलक के हाथों पर गाए जाने वाली गाए जाने वाला फगुआ आज के गीतों में जीवन की हंसी खुशी मौज मस्ती का पुट देखने को मिलता है।
काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गजलकार शिवनारायण “शिव” ने गीत के माध्यम से फगुवा का संदेश दिया-
रामनाथ “शिवेंद्र” ने कहा कि-” हमारे भारतीय साहित्य में होली का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, इस त्यौहार के पीछे आध्यात्मिक, धार्मिक, संस्कृति, सामाजिक तथ्य छिपे हुए हैं। होली त्योहार से संबंधित लोक कथाएं, लोक गीतों का वाचन- गायन हमारे भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, आज भी ढोलक की थाप पर गाए जाने वाला फगुआ गीत मानव जीवन में हर्ष उल्लास भर देता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गजलकार शिवनारायण “शिव”ने फगुआ गीत गायक कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया-
फागुन कअ रंग निराला बा,
फागुन क रंग निराला बा। केहू पीए केहू पिलावे,
केहूं घूम-घूम होली गावे।
कवि गोष्ठी में कवि सुशील राही, डॉक्टर बी पी सिंगला, अमरनाथ अजेय, सरोज सिंह, हास्य व्यंग रचनाकार जयराम सोनी, सोन साहित्य संगम के संस्थापक राकेश शरण मिश्र, प्रकृति विधान फाउंडेशन के संस्थापक राजकुमार केसरी आदि कवियों ने एक से एक अपनी फागुनी रचना सुनाकर श्रोताओं को फागुन के रंग में भिगो दिया। इस अवसर पर हर्षवर्धन केसरवानी, प्रतिभा देवी कुमारी तृप्ति, विजय कुमार केसरी सहित अन्य श्रोतागण उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी साहित्यकारों ने एक दूसरे से गले मिलकर होली की शुभकामनाएं दी।

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