चुनाव प्रचार का थमा जंग,सोनभद्र मे मतदान कल

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- जनपद के चार विधानसभा क्षेत्रों में सात मार्च को होने वाले अंतिम दौर के चुनाव का प्रचार शनिवार की शाम को ही थम गया। रविवार को कहीं भी ध्वनि विस्तारक यंत्रों की आवाज नहीं सुनाई दे रही है। हालांकि चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी जनसंपर्क के माध्यम से अपनी पूरी ताकत झोके हुए हैं। वहीं जिला प्रशासन भी चुनाव को सकुशल संपन्न कराने के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था को अंतिम रूप देने में लग गया है। गौरतलब हो कि जनपद सोनभद्र की सीमा से सटे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड व बिहार की सीमाओं को सील कर देने के साथ ही भारी फोर्स की तैनाती भी कर दी गयी है‌। बाहरी लोगों को जनपद क्षेत्र में आने की अनुमति नहीं है।इस पर सुरक्षा बल पैनी निगाहें लगाएं हुए हैं। बताते चलें कि जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों घोरावल, रावर्ट्सगंज, ओबरा और दुद्धी में

सात मार्च को चुनाव होना है। इसकी तैयारी पूरी तरह से कर ली गई है। बड़ी तादाद में फोर्स भी लगाए गए हैं। प्रशासन चुनाव को सकुशल संपन्न कराने के लिए अलर्ट है। इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में कुल चालीस प्रत्याशी चुनावी जंग में कूदे हुए हैं। इधर चुनाव प्रचार थम जाने के कारण प्रत्याशी तथा उनके समर्थक मतदाताओं के बीच जाकर अपने पक्ष में मतदान करने के लिए उन्हें रिझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। यहां तक कि अपनी जीत सुनिश्चित करने हेतु हर तरह के हथकंडे अपनाने से भी बाज नहीं आ रहे है। वही मतदाताओ की चुप्पी उन्हें परेशान की हुई है। अभी तक किसी भी दल के पक्ष में रुझान समझ में नहीं आ रहा है। मतदाता अबकि कहीं जातिगत तो कहीं दलगत और कहीं विकास गति को लेकर मतदान करने का मन बनाए हुए हैं। कहते हैं कि जनप्रतिनिधि चुनाव के दौरान तो तमाम तरह के वायदे करते हैं, मगर चुनाव बीतने के बाद पांच साल तक गुम हो जाते हैं। उन्हें जनता की नहीं बल्कि अपने स्वार्थ की चिंता रहती है। बहरहाल जो भी हो मतदाता किसी को भी अपने दरवाजे से निराश नहीं लौटा रहे हैं। जो भी उनके दरवाजे पर पहुंच रहा है उन्हें अपना मत देने की बात कह कर उन्हें सन्तुष्ट कर दे रहे हैं‌। ऐसे में विभिन्न दलों के उम्मीदवार अपनी जीत सुनिश्चित कर अपने को उत्साहित लग रहे हैं। दूसरी तरफ अगर देखा जाए तो जनपद के इन चारों विधानसभा क्षेत्रों में किसी भी राजनीतिक दल का पूर्ण वर्चस्व अभी तक कायम नहीं हो पाया है। क्योंकि जनता भी इस बार अपने पत्ते खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। लिहाजा क्षेत्र का चुनावी समीकरण किसी भी दल के पक्ष में साफ तौर पर दिखाई नहीं दे रहा है। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि मतदान किसके पक्ष में होता है और किसके सिर पर जीत का ताज सजता है!

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