सोनभद्र। गीत गजल व चुनिंदा शेरो शायरी के साथ सोमवार की खुशनुमा शाम शब्द श्रृंगार से सजती संवरती कविताओं के साथ स्वयं देश भक्ति गीतों को गुनगुनाते हुए कौमी एकता का संदेश देकर करुणा में लीन हो यथार्थ के धरातल पर मन को झकझोरती हुई हास परिहास व व्यंग के साथ ना जाने कब हंसी व ठहाकों में बदल गयी और लोग वाह वाह करने लगे और मधुरिमा अपने 59 वें आयोजन की स्मृतियों को संजोते हुए मस्ती में डूबकर नव सृजन का गीत गाने लगी।
सोमवार को मधुरिमा साहित्य गोष्ठी के मेजबानी में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में प्रदेश व देश के लब्ध प्रतिष्ठ कवियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति से श्रोताओं को मुग्ध कर दिया जमकर लगे ठहाके और खूब बजी तालियां।
प्रख्यात कवि व चिन्तक अजय शेखर के संयोजन में राबर्टसगंज के आरटीएस क्लब आयोजित 59 वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के मुख्यअतिथि सदर विधायक भूपेश चौबे विशिष्ट अतिथि जिला विकास अधिकारी राम बाबू त्रिपाठी रहे अध्यक्षता भोजपुरी के ख्यातिलब्ध गीतकार हरिराम द्विवेदी व संचालन कमलेश राजहंस ने किया। ठंड की हिमानी शाम में कार्यक्रम का आगाज शिखा मिश्रा के सुमधुर वाणी वंदना से हुआ तत्पश्चात सोनभद्र के लीलासी से चलकर आये कवि लखनराम जंगली ने अपनी रचना – सांस लेली का तनिका गोहार हो गइल, थाती जोगवल सँजोवल तोहार हो गइल सुनाकर माटी की सुगंध बिखेरा तो बीजपुर से आये कवि दिनेश दिनकर ने-बिछ गया अखबार बिस्तर, पेट पापी सो गया सुनाकर वर्तमान व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा किया। गाजीपुर से चलकर आये शायर अहमद आजमी ने- दुआ माँ बाप की कोई कभी खाली नही जाती, ये घर मे हैं तो समझो घर से खुशहाली नही जाती, जवां होकर इन्ही बच्चों से माँ पाली नही जाती सुनाकर लोगों को सोचने पर मजबूर किया तो कानपुर से आयी शिखा मिश्रा ने महफिल में मोहब्बत के रंग बिखरते हुए- मैं ये तुमसे नही कहती किसी से प्यार मत करना, अगर हो जाये तो इस बात का इजहार मत करना, जवानी है तो आएंगे हजारो तोते, किसी अनजान का तोहफा स्वीकार मत करना सुनाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया। फतेहपुर से आये कवि समीर शुक्ला ने अपने रचनाओं से श्रोताओं को गुदगुदाते हुए खूब हंसाया और मतारी के जिगर में लरिका रहत हवै सुनाकर वाहवाही लूटा। देवरिया से आये मनमोहन मिश्र ने मधुर गीतों के प्रस्तुति से शमां बांधते हुए – फूलों के रंग क्या हुए बोलो जवाब दो, हमने लहू दिया था लहू का हिसाब दो सुनाकर आयोजन में चार चांद लगा दिए। वाराणसी से आये सलीम शिवालवी ने ठेठ बनारसी में अपनी रचना जीत हार क अलख जगईह रजा इलेक्शन में, बेसुर क सुर ताल बजईह रजा इलेक्शन में सुनाकर राजनीति पर तंज कसा तो देहरादून से आये देश के जानेमाने गीतकार डा बुद्धिनाथ मिश्र ने राग लाया हूं रंग लाया हूं, गीत गाती उमंग लाया हूं, मन मन्दिर में आपके लिए प्यार का तरंग लाया हूं सुनाकर सम्मेलन में इंद्रधनुषी छंटा बिखेर दिया संचालन कर रहे कमलेश राजहंस ने अपनी ओज की रचना भारत का हिन्दू मुसलमान, भारत माँ का जय बोलेगा सुनाकर कौमी एकता पर जोर दिया कवि सम्मेलन की अध्यक्षता के रहे भोजपुरी के ख्यातिलब्ध गीतकार हरिराम द्विवेदी ने माई अस केहू नाही माई माई होले, माई अंखियन में सुख के कोहाइ होले, उ सनेहिया के शीतल जोन्हाई होले सुनाकर आयोजन को शिखर पर पहुंचा दिया और गीतों, कविताओं को गुन गुनाते हुए मधुरिमा अपने 60 वें आयोजन के सपने सजाने लगी।
इस मौके पर जगदीश पंथी, ईश्वर विरागी, शुशील पाठक,प्रदुम्न त्रिपाठी, दिवाकर द्विवेदी मेघ, अब्दुल हई, नजर मोहम्मद नजर, विकास वर्मा, कृष्ण मुरारी गुप्ता, राहुल श्रीवास्तव, विजय शंकर चतुर्वेदी, पुष्कर पाण्डेय, राम प्रसाद यादव, बृजेश शुक्ला, आशीष पाठक, फरीद अहमद, आनन्द शंकर दुबे ‘सोनू’ ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी ‘बब्बू’, सोनभद्र बार एसो. के अध्यक्ष शुक्ला, रवींद्र केसरी, डा कुसुमाकर श्रीवास्तव, अरविंद सिंह, धीरज पाण्डेय, दिलीप चौबे, अनिल द्विवेदी, अमित पाण्डेय लाला समेत गणमान्य लोग व सुधि श्रोता मौजूद रहे।