परम पूज्य संत जयगुरुदेव महराज के शिष्य पूज्य पंकज जी महाराज ने लोगों से शाकाहार अपनाने पर दिया जोर
चोपन-सोनभद्र(सत्यदेव पांडेय)- स्थानीय विकास खंड के रेणुकापार में स्थित ऐतिहासिक अगोरी किले के समीप सोननदी के पावन तट के किनारे रविवार को 80 दिवसीय 6 प्रान्तीय शाकाहार-सदाचार, मद्यनिषेध आध्यात्मिक वैचारिक जनजागरण यात्रा कल सायंकाल जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था मथुरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज जी महाराज के साथ गोठानी अगोरी सातवें पड़ाव पर पहुंची। यहाँ यात्रा का उपस्थित श्रद्धालुओं ने जोरदार स्वागत किया। जहाँ आयोजित
जयगुरुदेव सत्संग समारोह में प्रवचन करते हुये पंकज जी महाराज ने कहा परमात्मा ने अति दया करके आपको यह मानव तन दे दिया। पैदा होने से पहले आपने वादा किया था कि अबकी बार मानव शरीर पाने पर हम आपकी भक्ति करेंगे, भजन करेंगे लेकिन यहाँ आकर अपना वादा भूल गये। याद रखें परमात्मा ने बड़ी दया करके यह मानव तन आत्मकल्याण के लिये दिया है। उन्होंने कहा प्रभु महात्माओं, संतों, फकीरों को अपने उद्देश्य से लोगों को समझाने, चेताने के लिये भेजते हैं। वे यहाँ आकर मानव जीवन को पाने का असली उद्देष्य बताते हैं, समझाते हैं, साथ ही जब वे साधना करके दैवी लोकों में जाते हैं तो खोटे, बुरे कर्माें को करने वाले जीवों को नर्कों में मिल रही कठोर यातनाओं को देखते हैं तो बहुत दुःखी होते हैं।
इसलिये वे अपनी वाणियों में उसका वर्णन करते हैं। ऊपर के लिंग लोकों में आत्मायें इसी रूप में रहती हैं। बाबा जयगुरुदेव के उत्तराधिकारी ने कलयुग में सरल साधना सुरत-षब्द योग (नाम योग) का उपदेष किया और समझाया कि इस कलयुग में साधना की तीन ही क्रिया सुमिरन, ध्यान, भजन हैं। नाम का मौन जाप सुमिरन है, दृष्टि को एकाग्र करके नौ दरवाजों पर फैली आत्मा की शक्ति का सिमटाव कर आंखों के मध्य भाग में लाना ध्यान है। दोनों कानों को बन्द करके अनहदवाणी को सुनना भजन है। इस कलयुग में सन्तों ने पहले युगों की साधनाओं को मना करते हुये कहा ‘‘सतयुग त्रेता द्वापर बीता, काहू न जानी शब्द की रीता। कलयुग में स्वामी दया बिचारी, परगट करके शब्द पुकारी’’। दोनों आंखों के मध्य में वह जलवा हो रहा है जिसे देखकर बड़े-बड़े मुनि, ऋषि, योगी, पीर, पैगम्बर, औलिया कुर्बान हो गये सन्तजन इसके आगे जाते हैं। इसलिये भाई-बहनों अपने आत्मकल्याण की कुछ चिन्ता करके भगवान की भी याद करो। महाराज ने युवा पीढ़ी को देष का भविष्य बताते हुये कहा कि इनमें अच्छे संस्कार डालना समय की मांग है। संस्कार पड़ेंगे महात्माओं के वचन वाणियों से और उनके सत्संग से। उन्होंने सत्संगियों का आह्वान किया कि अपने बच्चों को मथुरा दरबार से जोड़ दें ताकि गुरु परम्परा कायम रहे और आत्म कल्याण भी हो। इस समय गुरु महाराज के संदेष पहुंचाने व आगे आने वाली विपदाओं से सचेत करने का जो गांव गोद लेने का कार्यक्रम चल रहा है उसमें आप सब लगें ताकि कोई यह न कह सके कि हमको जानकारी नहीं थी। इसलिये आपस में सब प्रेम बढ़ायें, खिलकत को खुषहाल बनायें। अपने गुरु की पावन स्मृति में बाबा जयगुरुदेव जी ने मथुरा में वरदानी मन्दिर बनवाया है। यहाँ रूपये पैसे नहीं अपनी बुराईयाँ चढ़ाई जाती है और बुराई चढ़ाकर एक मनोकामना पूर्ति की जाती है। यही नहीं यदि कोई पक्षी भी मन्दिर की मुँड़ेर से उड़ गया तो वह भी मानव शरीर पाने का अधिकारी हो जायेगा। महाराज जी ने जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में आगामी 18 से 20 मार्च 22 तक आयोजित होने वाले होली सत्संग में पधारने का निमन्त्रण दिया। इस अवसर पर जयगुरुदेव संगत जिला सोनभद्र के अध्यक्ष अवधू सिंह यादव, राजेन्द्र प्रसाद, कैलाष चौरसिया, लक्ष्मण मौर्या, प्रभुनाथ मौर्या, बनवारी लाल गुप्ता, बृजेष यादव आदि तथा संस्था के महामन्त्री बाबूराम यादव, मंत्री विनय कुमार सिंह, उ.प्र. संगत के अध्यक्ष संतराम चौधरी, बिहार प्रान्त के अध्यक्ष मृत्युन्जय झा, दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष विजय पाल सिंह, म.प्र. संगत के महासचिव बी.बी. दोहरे, प्रबन्ध समिति के सदस्य सतीश उपाध्याय, भरत कुमार टी. मिस्त्री, अखिलेश यादव, राजेश, डा. कुंवर बृजेष, नरेश सिंघल के साथ ही भारी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे वहीं शांति एवं सुरक्षा की व्यवस्था को लेकर प्रशासन पूरी तरह से चाक चौबंद रहा।