भारत तो एक कृषि प्रधान देश है, खेती-किसानी के इर्द-गिर्द ही हमारा समाज विकसित हुआ है, परम्पराएँ पोषित हुई हैं, पर्व-त्योहार बने हैं-नरेन्द्र मोदी

पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट

प्राकृतिक खेती से सबसे अधिक फायदा देश के 80 फीसद किसान को होगा-नरेन्द्र मोदी

वो छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है, इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है

अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी-प्रधानमंत्री

कृषि से जुड़े हमारे प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी जरूरत है-नरेन्द्र मोदी

खेती के अलग-अलग आयाम हों, फूड प्रोसेसिंग हो या प्राकृतिक खेती हो ये विषय 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायाकल्प करने में बहुत मदद करेंगे-पीएम

हर पंचायत का कम से कम एक गांव जरूर प्राकृतिक खेती से जुड़े-प्रधानमंत्री

हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है-प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों से प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाने का किया आग्रह

“वाराणसी।आत्म निर्भर भारत अभियान” सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन (आत्मा) अंतर्गत किसानों की आय दो-गुनी करने हेतु कार्यक्रम हुआ आयोजित वाराणसी। "आत्म निर्भर भारत अभियान" सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन (आत्मा) अंतर्गत किसानों की आय दोगुनी करने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का लाइव स्ट्रीमिंग गुरुवार को चौकाघाट स्थित गिरिजा देवी संकुल में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित किसानों ने देखा और सुना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राकृतिक खेती के फायदों के बारे में बताया और कहा कि इसका सबसे ज्यादा लाभ छोटे किसानों को होगा। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 फीसद किसान। वो छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है। इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है। अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि से जुड़े हमारे प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी जरूरत है। इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करके प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा। उन्होंने कहा कि केमिकल और फर्टिलाइजर ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है लेकिन इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहने की जरूरत है। उन्होंने यह भी बताया कि इस कान्क्लेव के दौरान हजारों करोड़ रुपये के समझौते पर भी चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि खेती के अलग-अलग आयाम हों, फूड प्रोसेसिंग हो या प्राकृतिक खेती हो ये विषय 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायाकल्प करने में बहुत मदद करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि पिछले 6-7 सालों में किसानों की आय बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा ये कान्क्लेव गुजरात में जरूर हो रहा है लेकिन इसका असर पूरे भारत के लिए है। भारत के हर किसान के लिए है। इसके साथ ही उन्होंने सभी राज्यों से प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हर पंचायत का कम से कम एक गांव जरूर प्राकृतिक खेती से जुड़े, ये प्रयास हम कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया जितना आधुनिक हो रही है, उतना ही 'back to basic' की ओर बढ़ रही है। इस Back to basic का मतलब क्या है? इसका मतलब है अपनी जड़ों से जुड़ना! इस बात को आप सब किसान साथियों से बेहतर कौन समझता है? हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है। भारत तो एक कृषि प्रधान देश है। खेती-किसानी के इर्द-गिर्द ही हमारा समाज विकसित हुआ है, परम्पराएँ पोषित हुई हैं, पर्व-त्योहार बने हैं। यहाँ देश के कोने कोने से किसान साथी जुड़े हैं। आपके इलाके का खान-पान, रहन-सहन, त्योहार-परम्पराएँ कुछ भी ऐसा है जिस पर हमारी खेती का, फसलों का प्रभाव न हो? जब हमारी सभ्यता किसानी के साथ इतना फली-फूली है, तो कृषि को लेकर, हमारा ज्ञान-विज्ञान कितना समृद्ध रहा होगा? कितना वैज्ञानिक रहा होगा? इसीलिए आज जब दुनिया organic की बात करती है, नैचुरल की बात करती है, आज जब बैक टु बेसिक की बात होती है, तो उसकी जड़ें भारत से जुड़ती दिखाई पड़ती हैं। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहां की हमारी प्राकृतिक खेती प्राचीन पद्धति रही है। प्रधानमंत्री ने आह्वान किया है कि "बैक टू बेसिक बैक टू नेचर" हम प्रकृति की ओर चले और प्राकृतिक खेती किए जाने से जहां भूमि की गुणवत्ता व उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, वही मानव स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा। साथ-साथ दुनिया में बहुत बड़ा बाजार भी इसके लिए है। पूरे देश के किसान भाइयों से आह्वान किया है कि जो हमारी पुरानी परंपरा रही है, प्राकृतिक खेती का और जिसमें खेती की लागत कम है और गुणवत्तापूर्ण अन्न का उत्पादन है। उस दिशा में हम आगे की ओर बढ़े। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्ग निर्देशन व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर जनवरी, 2020 से ही कानपुर में गो आधारित खेती पर सेमिनार किया गया था और उसमें मास्टर ट्रेनों को प्रशिक्षित कर योजना को नमामि गंगे योजना अंतर्गत संचालित किया गया है। काशी की ऑठो विकास खंडों में क्लस्टर में भी इस कार्य को शुरू किया गया है। यह पूरे देश-दुनिया के लिए बहुत बड़ा कार्यक्रम है कि कम लागत में किसान की आय कैसे बढ़ाई जाए और उसे दोगुना किया जाए। किसान को सुखी व समृद्धिशाली बनाया जाए। साथ-साथ हम प्रकृति का संरक्षण कर सकें, जल का संरक्षण करें और बढ़ते तापमान को रोकते हुए मानव स्वास्थ्य के लिए जो गुणकारी अन्न है, उसे पैदा कर सकें। उस दिशा में यह राष्ट्रीय सेमिनार है। इस अवसर पर उन्होंने देशभर के किसानों को बधाई दी। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इन सीटू योजना अंतर्गत विकास खंड काशीविद्यापीठ के ग्राम सभा रमना निवासी किसान रामजी सिंह, विकास खंड काशी विद्यापीठ की ग्राम सभा पिलखानी निवासी अखिलेश नारायण सिंह, विकास खंड काशीविद्यापीठ के सिद्धिविनायक ग्राम सभा निवासी किसान गिरीश कुमार सिंह तथा विकास खंड आराजीलाइन के ग्राम सभा कृष्ण दत्त पुर निवासनी किसान रंजना पाल को ट्रैक्टर की चाबी भेंट की। इस अवसर पर भाजपा प्रदेश सहप्रभारी सुनील ओझा, प्रदेश मंत्री मीना चौबे, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य, देवेंद्र सिंह सदस्य आईसीएआर, शैलेन्द्र सिंह जी, पद्म चंद्रशेखर सिंह, घनश्याम पटेल प्रदेश महामंत्री किसान मोर्चा, रीता जायसवाल, योगेश सिंह, आयुष चन्द्र, अनिल सेठ, धर्मेंद्र सिंह, नवरतन राठी, संतोष सोलापुरकर आदि प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।

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