- पम्प हाउस से एक पम्प चलने से टेल तक नहीं पहुंचता पानी , सिंचाई को लेकर किसानों में होता है विवाद
गुरमा-सोनभद्र(मोहन गुप्ता)- सदर विकास खण्ड क्षेत्र के अन्तर्गत मारकुंडी मुख्य सोन पम्प नहर से मारकुंडी के किसानों के लिए, सिंचाई हेतु 25 वर्ष पूर्व जिस खेतों की सिंचाई के लिए माइनर का निर्माण किया गया था। वह मात्र खाना पूर्ति किया गया है। इस माइनर से सिंचाई मारकुंडी, अवई, ओबरी के लगभग 500 हेक्टेयर भूमि सिंचित होनी थी। मारकुंडी माइनर पम्प हाउस में तीन मोटर तीन पम्प भी लगे थे। लेकिन अधिकारियों के उदासीनता के चलते एक पम्प चलता है जो घटिया नाली निर्माण के कारण पानी सिपेज होकर मात्र 200 मीटर के रेंज में ही पानी रह जाता है आज तक सड़क पार पानी पहुंचा ही नहीं। उक्त सम्बन्ध में राजकुमार मिश्रा, मदन मोहन यादव, कपील मुनि पाण्डेय, शशि पाल, पहलु यादव, राममुरत यादव, राजेश मिश्रा इत्यादि किसानों ने बताया कि विभागीय अधिकारियों के उदासीनता के कारण मारकुंडी माइनर पम्प हाउस में तीन मोटर लगे थे। एक मोटर तो चोरी हो गई एक मोटर वर्षों से खराब है। मात्र एक मोटर चल रही है। जहां 500 हेक्टेयर भूमि सिंचित होनी चाहिए वहां मात्र पांच हेक्टेयर भूमि सिंचाई के लिए किसानों में पानी को लेकर आए दिन विवाद होता रहता है। कितने उम्मीद से किसानों ने अपने भूमि पानी सिंचाई के लिए दिये थे। लेकिन सभी उम्मीदों पर पानी फिर गया। गरीब किसानों की जमीन भी अधिकृत कर लिया गया और पानी को कौन कहे आज किसानों को मुआवजा तक नहीं मिला। माइनर सफाई को लेकर हर वर्ष विभागीय अधिकारियों द्वारा सफाई के नाम पर बजट का बन्दर बांट जरुर किया जाता है। किसानों ने आगे बताया कि विभागीय अधिकारियों की अगर यही रवैया रही तो गरीब किसान अपनी-अपनी जमीन जोतने के लिए विवश होंगे। उक्त सम्बन्ध में जिलाधिकारी का ध्यान अपेक्षित है।
उक्त सम्बन्ध में सिंचाई ओबरा प्रखण्ड नहर विभाग के जेई विशाल शर्मा ने बताया कि अभी इस तरह की लिखित शिकायत किसानों की तरफ से नहीं मिली है। अगर कहीं से कोई कमियां संज्ञान में आयेगा तो पहल किया जायेगा।
अभी नहर माइनर की साफ-सफाई का कार्य चल रहा है जब मुख्य नहर चालू होगा इसके पश्चात भी माइनर से टेल तक पानी नहीं पहुचता है तो जो कमियां होगी उसे दूर किया जायेगा।