सत्यदेव पांडेय
चोपन-सोनभद्र- श्री श्री रामलीला कमेटी रेलवे सोनभद्र के संयोजन में चित्रकूट के कलाकारों द्वारा मंचित रामलीला में कुम्भकर्ण एवं मेघनाथ वध का मंचन किया गया। रामलीला में दिखाया गया कि, रावण कुम्भकर्ण को छह मास की निद्रा से जगाता है, जगाने के बाद कुम्भकर्ण को युद्ध क्षेत्र में भेजता है, कुम्भकर्ण वानर सेना के साथ युद्ध करता है। इसके बाद वह अंगद, सुग्रीव, जामवंत सभी से लड़ता है, बाद में भगवान श्रीराम रणक्षेत्र में आते हैं। कुम्भकर्ण राम का संवाद होता है, इसके बाद भगवान श्रीराम के हाथों कुम्भकर्ण का वध किया जाता है। रावण को जब अपने भाई के युद्ध में मारे जाने की खबर मिलती है तो वह मेघनाथ को युद्ध में भेजता है।
यह जानकारी भगवान श्रीराम को लगती है तो वे स्वयं युद्ध में जाने के लिए तैयार होते हैं, लेकिन लक्ष्मण कहते हैं कि मैं जाना चाहता हूं। मेघनाथ सारी वानर सेना से युद्ध करता है बाद में लक्ष्मण रण क्षेत्र में आते हैं। दोनों के बीच संवाद होता है और उसके बाद घनघोर युद्ध होता है। लेकिन मेघनाद द्वारा लक्ष्मण पर प्रहार किये जाने से लक्ष्मण मूर्छित हो जाते है। विभीषण के सुझाव पर सुखेन वैद्य को हनुमानजी रामा दल में लेकर आए और सुखेन वैद्य के बताए अनुसार सूर्योदय से पूर्व संजीवनी लाने की बात कही। मंचन में दिखाया गया कि, हनुमान जी जब अयोध्या के ऊपर से गुजरते है तो भरत यह सोचते है कि, कोई राक्षस संजीवनी बूटी लेकर भाग रहा है। भरत के तीर से हनुमान जी मूर्छित होकर गिर जाते हैं। भरत और हनुमान जी के संवाद के बाद हनुमान जी द्वारा लाई गई संजीवनी बूटी से लक्ष्मण ठीक हो जाते हैं। इसके बाद एक बार फिर से लक्ष्मण व मेघनाथ के बीच दोबारा लड़ाई होती है, इस बार लक्ष्मण मेघनाथ का वध कर देते है। रामलीला मंचन के दौरान समिति के सदस्यों व गणमान्य लोगों सहित राम भक्त उपस्थित रहे।