उ०प्र०रा०वि०प०अभियन्ता संघ, अनपरा
सोनभद्र।आंदोलन के खिलाफ दुष्प्रचार पर प्रबंधन का पूरा ध्यान : कुप्रबन्धन एवं उत्पीड़न ही है ऊर्जा निगमों में बिजली संकट एवं औद्योगिक अशान्ति का कारण
लंबित समस्याओं के समाधान न होने से पिछले 8 दिन से आंदोलनरत अभियंताओं ने पावर कारपोरेशन प्रबन्धन की संवादहीनता एवं उत्पीड़नात्मक तथा दण्डात्मक कार्यवाहियों के अभियान के विरोध में बिजली अभियंताओं ने अपने शान्तिपूर्ण ध्यानाकर्षण आन्दोलन के द्वितीय चरण के क्रम में अनपरा परियोजना गेट पर अपराह्न 03 बजे से 05 बजे तक का दो घण्टे का कार्य बहिष्कार एवं विरोध सभा कर अपना रोष प्रकट किया। दिनांक 13 अक्टूबर को भी 02 घण्टे का कार्य बहिष्कार जारी रहेगा।
सभा को संबोधित करते हुए ई रोहित राय ने कहा कि प्रबंधन सिर्फ अभियंताओं की समस्याओं का निराकरण कराने की बजाय दुप्रचार में लगा हुआ है। प्रबंधन द्वारा जानबूझकर वेतन वृध्दि की मांग को मुद्दा बना के जनता के बीच आन्दोलन को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि अभियंता अपने लंबित समस्याओं, उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों एवं प्रबंधन की अदूरदर्शिता के विरोध में आंदोलनरत है। प्रबंधन द्वारा अभियंताओं की समस्याओं के निराकरण हेतु कोई सार्थक प्रयास नही किया जा रहा है।
इं जयनारायण गौतम ने बताया कि ऊर्जा निगम प्रबन्धन की अदूरदर्शिता एवं विफलता के कारण जहां एक ओर प्रदेश की जनता को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर कारपोरेशन को अत्यन्त मंहगी बिजली खरीदनी पड़ी है जिससे कारपोरेशन की वित्तीय स्थिति और खराब हो गयी है जो घाटा बढ़ाने में सहायक होगा। शीर्ष प्रबन्धन द्वारा मात्र अभियन्ताओं को प्रताड़ित करने एवं दण्डित करने में ही पूरा समय व्यतीत किया गया है जिससे अन्य नियोजन एवं तकनीकी कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और प्रदेश को बिजली संकट झेलना पड़ रहा है जिससे सरकार की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
इं मनिन्द्र नाथ ने बताया कि ऊर्जा निगम प्रबन्धन ने जहां एक ओर प्रदेश को बिजली संकट में डाल दिया है जिससे उबरने में एक माह से अधिक समय तक का समय लग सकता है वहीं दूसरी ओर ऊर्जा निगमों में कार्य का स्वस्थ वातावरण न देकर औद्योगिक अशान्ति उत्पन्न कर दी है जिस हेतु ऊर्जा निगम का शीर्ष प्रबन्धन पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। सभा की अध्यक्षता इं गजेंद्र सिंह ने किया एवं संचालन इं अभिषेक बरनवाल ने किया।