ऊर्जा निगमों में अभियन्ताओं की समस्याओं के तत्काल निराकरण कर औद्योगिक अशान्ति समाप्त करने हेतु ऊर्जामंत्री से अपील

उ०प्र०रा०वि०प०अभियन्ता संघ, अनपरा*

सोनभद्र।प्रदेश के बिजली संकट के लिए ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन का कुप्रबन्धन है जिम्मेदार । मात्र अभियन्ताओं के उत्पीड़न एवं दण्डात्मक कार्यवाहियों में ही रहा है पूरा ध्यान । कुप्रबन्धन ही है ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशान्ति का जिम्मेदार ।संवाद से समाधान’ के मूल मंत्र पर बिजली अभियन्ता हैं कायम । प्रबन्धन की संवादहीनता एवं समस्याओं के प्रति उपेक्षात्मक रवैये के कारण आन्दोलन हेतु हैं बाध्य । ऊर्जा निगमों में अभियन्ताओं की समस्याओं के तत्काल निराकरण कर औद्योगिक अशान्ति समाप्त करने हेतु मा0 ऊर्जा मंत्री जी एवं मा0 मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील :*

ऊर्जा निगमों में बिजली अभियन्ताओं की काफी समय से लम्बित ज्वलन्त समस्याओं के समाधान न होने एवं पावर कारपोरेशन प्रबन्धन की संवादहीनता एवं उत्पीड़नात्मक तथा दण्डात्मक कार्यवाहियों के अभियान के विरोध में बिजली अभियंताओं ने अपने शान्तिपूर्ण ध्यानाकर्षण आन्दोलन के क्रम में अपना आन्दोलन तेज करते हुए आज अनपरा परियोजना गेट पर अपराह्न 03 बजे से 05 बजे तक का दो घण्टे का कार्य बहिष्कार एवं विरोध सभा कर अपना रोष प्रकट किया। दिनांक 12 एवं 13 अक्टूबर को भी 02 घण्टे का कार्य बहिष्कार जारी रहेगा।  
क्षेत्रीय सचिव रोहित राय ने बताया कि प्रदेश में उत्पन्न बिजली संकट के लिए ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबन्धन पूर्ण रूप से जिम्मेदार है क्योंकि प्रबन्धन की अदूरदर्शिता के कारण समय रहते कोयला प्रबन्धन पर शीर्ष प्रबन्धन द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया। ऊर्जा निगम प्रबन्धन की अदूरदर्शिता एवं विफलता के कारण जहां एक ओर प्रदेश की जनता को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर कारपोरेशन को 18-20 रूपये की अत्यन्त मंहगी बिजली खरीदनी पड़ी है जिससे कारपोरेशन की वित्तीय स्थिति और खराब हो गयी है जो घाटा बढ़ाने में सहायक होगा। शीर्ष प्रबन्धन द्वारा मात्र अभियन्ताओं को प्रताड़ित करने एवं दण्डित करने में ही पूरा समय व्यतीत किया गया है जिससे अन्य नियोजन एवं तकनीकी कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और प्रदेश को बिजली संकट झेलना पड़ रहा है जिससे सरकार की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। मा0 केन्द्रीय मंत्री के देश में कोयला संकट न होने के बयान को देखते हुए स्थिति और चिंताजनक एवं स्पष्ट हो जाती है कि प्रदेश के ऊर्जा निगम कुप्रबन्धन का शिकार है एवं वर्तमान बिजली संकट इसी का नतीजा है।
इं जे के मिश्रा ने बताया कि बिजली अभियन्ताओं द्वारा कारपोरेशन के हित में दिये गये सुझावों पर ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने एवं ऊर्जा निगमों को मनमाने ढंग से एवं डण्डे के जोर पर चलाने के मूल मंत्र के कारण प्रदेश की जनता बिजली के लिए तरस रही है एवं बिजली अभियन्ताओं सहित अन्य कर्मचारी ध्यानाकर्षण आन्दोलन हेतु बाध्य हैं। यह समझ से परे है कि ऊर्जा निगम प्रबन्धन ने जहां एक ओर प्रदेश को बिजली संकट में डाल दिया है जिससे उबरने में एक माह से अधिक समय तक का समय लग सकता है वहीं दूसरी ओर ऊर्जा निगमों में कार्य का स्वस्थ वातावरण न देकर औद्योगिक अशान्ति उत्पन्न कर दी है जिस हेतु ऊर्जा निगम का शीर्ष प्रबन्धन पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। 
उन्होंने आगे बताया कि समस्याओं के सार्थक समाधान न होने तक शान्तिपूर्ण ध्यानाकर्षण आन्दोलन जारी रहेगा ।
सभा की अध्यक्षता इं एल बी यादव ने किया एवं संचालन इं अभिषेक बरनवाल ने किया।

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