राम वनवास का लीला देख दर्शक हुए भावविभोर

हो गयी सुनी अयोध्या राम वन को जाने लगे

म्योरपुर/पंकज सिंह

म्योरपुर में चल रहे रामलीला मंचन के पांचवे दिन राम बनवास लीला का मंचन मण्डली के पात्रों ने मनमोहक अंदाज में किय लीला देखने के लिये श्रद्धालु देर रात तक डटे रहे प्रसंग की शुरुवात दसरथ दरबार से होती है दशरथ जी के मन मे विचार आता है क्यो न अब राम का राज्याभिषेक कर पूरे राज्य में रामराज्य स्थापित कर दिया जाए मंत्रियो को नगर की साफ सफाई का आदेश देते है नगर की सफाई के लिए कलुआ डोम को बुलाया जाता है कलुआ डोम द्वारा नगर का साफ सफाई बहुत ही मनमोहक अंदाज में किया जाता है तभी मन्थरा आ कर पूछती है यह कैसा साफ सफाई किया जा रहा है यह नजारा देख जिसे देख देवताओं में खलबली मच जाती है जिस कारण के लिये प्रभु ने जन्म लिया वह राज्यभिषेक के बाद निष्फल हो जाएगा मंत्रीयो की बात सुन मन्थरा सोचती है भारत को मैंने बचपन से पाला है यह बात जाकर केकई से कहती है मंत्रा केकई से मन्थरा कहती है महाराज से दो बर आप मांगे पहला भरत को राज तिलक दूसरा राम को 14 वर्षों का वनवास यह सुन केकई विचलित हो जाती है और बोलती है राम भी मुझे प्राणों से प्यारा हैं ऐसा तू क्यों बोल रही है मन्थरा बोलती है राजा भरत बने या राम बने मैं तो दासी ही कल आऊंगी 14 वर्षों का अगर बनवास राम को होगा तो प्रजा राम को भूल जाएगा भरत ही राजा का क हलाएंगे मन्थरा की बात सुनकर केकई कोप भवन में चली जाती है राजा दशरथ को जैसा ही पता चलता है कि केकई कोप भवन में गई है दशरथ जी कोप भवन में जाते हैं और केकई से कोप भवन में जाने का कारण पूछते हैं

तब केकई महराज से दो वर के लिये राम की कसम खाने को कहती केकई के कहने पर दशरथ जी पाक नाम राम का कसम खाते हैं और कहते हैं मांग केकई क्या वर तुम्हे चाहिए दशरथ जी कहते है रघु रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाए यह सुन केकई बोलती है सुबह होते ही भरत का राज्याभिषेक और राम को 14 वर्षों का वनवास वही दोनो वर मैं चाहती हु यह सुन दशरथ विचलित हो जाते हैं और मूर्छा अवस्था में हो जाते हैं मंत्रियों को बुलाकर दशरथ जी सूचना देते हैं राम को बुलाओ राम आते हैं केकई कहती है 14 वर्षों के लिए बनवास अभी ही चले जाओ जिसे सुन प्रभु श्रीराम सर झुका तुरंत बनवास के प्रस्थान करते है बड़े भाई को बन जाता देख लक्ष्मण जी भी साथ जाने की हट करते हैं तथा माता सीता भी बोलती है मैं भी चलूंगी राम लक्ष्मण और माता सीता वन के लिए प्रस्थान करते हैं वही प्रभुके वनवास जाते हैं पूरे अयोध्या सुनी हो जाती है हो गई सूनी अयोध्या रामबन जाने लगे का प्रसंग सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो जाते हैं इस दौरान कमेटी के महाप्रबंधक गौरीशंकर सिंह,अध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता,उपाध्यक्ष पंकज सिंह, कोषाध्यक्ष अशोक मिश्रा,मंत्री शशांक अग्रहरि, संदीप सह कोषाध्यक्ष संदीप अग्रहरि,मण्डली के अध्यक्ष सत्यपाल सिंह,कोषाध्यक्ष रंजन अग्रहरि, ब्यास आशीष अग्रहरि,मंत्री मंच डायरेक्टर अजय कुमार व अनिल कुमार सिंह,रामु,श्यामू,अनिल अग्रहरि,अंकित अग्रहरि,संदीप पांडेय,रंजन अग्रहरि,सुनील कुमार,भजन, प्रकाश अग्रहरि,आदि तमाम ग्रामीण मौजूद रहे।वालेंटियर प्रमुख आलोक अग्रहरि,राजन अग्रहरि,सहित तमाम ग्रामीण मौजूद रहे।

Translate »