धनुष-भंग,रावण-बाड़ासुर परशुराम- लक्ष्मण संवाद ने श्रद्धालुओ का मन मोहा
उठहु राम भव भंजहु चापा मेटहु तात जनक परितापा
पंकज सिंह@sncurjanchal

म्योरपुर में चल रहे श्री रामलीला मंचन के तीसरे दिन रामलीला मण्डली द्वारा शनिवार को धनुषयज्ञ का लीला का मंचन किया गया। रामलीला मंचन में रावण-बाड़ासुर व धनुष-भंग, परशुराम- लक्ष्मण संवाद की लीला रोचक तरीके से खेला गया मिथिला के राजा जनक अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन करते हैं। इसके लिए दीप-दीप के शक्तिशाली राजाओं को न्योता भेजा जाता है। स्वयंवर में मुनि विश्वामित्र भी अयोध्या के दो सुंदर राजकुमार श्री राम और लक्ष्मण के साथ पहुँचते हैं, तभी बाड़ासुर अपने आराध्य देव के धनुष को प्रणाम करने के लिए स्वयम्बर में आते है तभी दशनन्द रावण भी धनुष तोड़ने स्वम्बर में आ जाते है रावण जैसे ही शिव धनुष को तोड़ने आगे बढ़ता है।

आकाश वाणी होती है हे रावण तुम्हारी भगनी को मैदानों हरण कर ले जा रहा है जाकर रक्षा करो आकाशवाणी सुन रावण यह कह वापस लौट जाता है हे सीते तुन्हें एक बार लंका का सैर अवश्य करूंगा रावण के जाने के बाद विभिन्न राजाओं द्वारा धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाना का प्रयास किया जाता है प्रत्यंचा चढ़ना दूर कोई राजा उसे कोई हिला भी नही पता है। पेटन सरकार द्वारा भी जोर आजमाइश किया जाता है लेकिन वो भी निष्फल हो जाते है अपने गुरू की आज्ञा पा जैसे ही श्रीराम धनुष को उठाते है उठाते ही धनुष का खंडन हो गया। शिव के धनुष के टूटने की घटना इतनी तेज थी की तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। राम जी कहते है कि,मैं क्षत्रिय हूँ और मैं अपना सर नहीं झुकाउंगा।

तब सीता जी ने इशारों में लक्ष्मण को राम जी को मानने के लिए कहती है, लक्ष्मण जी के मानने पर राम जी मान जाते है। तब राजकुमारी सीता ने राम को वरमाला पहनाती है और उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार करती है। भगवान परशुराम शिव जी के अनन्य सेवक थे। जब उन्हें पता चला कि, उनके आराध्य भगवान शिव का धनुष किसी ने तोड़ दिया है, तो वह क्रोधित हो गए। तुरंत मिथिला नगरी पहुंच गए, परशुराम जी के क्रोध को देखकर भगवान राम ने कहा कि, मुनिराज यह सब करने वाला आपका कोई सेवक ही होगा। भगवान परशुराम का क्रोध देखकर राजकुमार लक्ष्मण ने हंसते हुए कहा कि, है मुनिराज मेरे लिए तो सभी धनुष एक ही समान है एक पुराने से टूटी फूटी धनुष के टूटने से भला किसी को क्या लाभ और क्या हानि होगी। मेरे भैया राम ने तो इसे नया समझकर उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की थी। लेकिन यह तो भैया राम के छूने मात्र से ही खंडित हो गया तब परशुराम कहते है लगता रामा अवतार हो गया तब श्री राम को परशुराम प्रत्यंचा चढ़ाने को कहते हैं श्रीराम द्वारा प्रत्यंचा चढ़ा परशुराम का शंका दूर किया जाता है।मनमोहक लीला का भक्त जनों ने भरपूर आनंद लिया इस दौरान राम लीला कमेटी महा प्रबन्धक गौरीशंकर सिंह, अध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता,उपाध्यक्ष पंकज सिंह, कोषाध्यक्ष अशोक मिश्रा,मंत्री शशांक अग्रहरि, संदीप सह कोषाध्यक्ष संदीप अग्रहरि,मण्डली के अध्यक्ष सत्यपाल सिंह,कोषाध्यक्ष रंजन अग्रहरि, ब्यास आशीष अग्रहरि,मंत्री मंच डायरेक्टर अजय कुमार व अनिल कुमार सिंह,रामु,श्यामू,अनिल अग्रहरि,अंकित अग्रहरि,संदीप पांडेय,रंजन अग्रहरि,सुनील कुमार,भजन, प्रकाश अग्रहरि,आदि तमाम ग्रामीण मौजूद रहे।वालेंटियर प्रमुख आलोक अग्रहरि,राजन अग्रहरि,सहित तमाम ग्रामीण मौजूद रहे।
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