बिजली कर्मियों के वेतनमान और समयबद्ध वेतनमान से कोई छेड़छाड़ की गई तो ऊर्जा निगमों में अनावश्यक तौर पर औद्योगिक अशान्ति उत्पन्न होगी

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत् परिषद् अभियन्ता संघ

सोनभद्र।उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों को केन्द्रीय वेज बोर्ड  तथा इन्जीनियरों को जस्टिस बी बी मिश्र वेतन आयोग की अनुशंसा के आधार पर दिए गए थे शासन से अलग वेतनमान : शासन व प्रबन्धन की ओर से जानबूझकर दी जा रही गलत सूचनायें बिगाड़ रही हैं कार्य का वातावरण 

                  उप्र शासन से बिजली कर्मियों के वेतन और समयबद्ध वेतनमान पर पॉवर कार्पोरेशन को भेजे गये पत्र में  उठाये गये सवाल पर उप्र राविप अभियंता संघ के अध्यक्ष वी पी सिंह व महासचिव प्रभात सिंह  ने कहा कि  उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों को केन्द्रीय वेज बोर्ड  तथा इन्जीनियरों को जस्टिस बी बी मिश्र वेतन आयोग की अनुशंसा के आधार पर  शासन से अलग वेतनमान दिए गए थे|  शासन व प्रबन्धन की ओर से इस सम्बन्ध में जानबूझकर दी जा रही गलत सूचनायें कार्य का वातावरण  बिगाड़ रही हैं जिससे  अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों में असन्तोष उत्पन्न हो रहा है |

                 उन्होंने बताया कि केन्द्रीय वेज बोर्ड ने सम्पूर्ण देश के सभी प्रान्तों के बिजली कर्मचारियों के लिये 01 अप्रैल 1969 से शासन के कर्मचारियों से अलग वेतनमान घोषित किये थे | केन्द्रीय वेज बोर्ड ने यह अनुशंसा भी की थी कि बिजली कर्मचारियों के वेतनमान श्रम संघों से द्विपक्षीय वार्ता द्वारा प्रत्येक 05 वर्ष के बाद पुनरीक्षित किये जायें |  बिजली इन्जीनियरों के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी बी मिश्र आयोग का गठन दिसम्बर 1978 में किया था | न्यायमूर्ति  बी बी मिश्र आयोग की अनुशंसा के आधार पर बिजली इन्जीनियरों के वेतन 1969,1974 और 1979  से पुनरीक्षित किये गये और यह कहा गया कि इन्जीनियरों से द्विपक्षीय वार्ता द्वारा प्रत्येक 05 वर्ष के बाद वेतन पुनरीक्षित किये जायें | 

                 न्यायमूर्ति  बी बी मिश्र आयोग की अनुशंसा के आधार पर ही बिजली इंजीनियरों को सरकार ने 09 वर्ष ,14 वर्ष और 19 वर्ष में समयबद्ध वेतनमान दिये  | उक्त आधार पर ही बिजली कर्मचारियों के वेतनमान 1969 ,1974 ,1979 और 1984 में पुनरीक्षित किये गये | इसके उपरान्त राज्य सरकार ने बिजली कर्मियों के साथ यह समझौता किया कि प्रत्येक 05 वर्ष में वेतन पुनरीक्षण के स्थान पर प्रति 10 वर्ष में वेतन पुनरीक्षण  किया जाये जिसमे यह तय हुआ कि कि बिजली कर्मियों को शासन की तुलना में अधिक वेतनमान दिया जायेगा तथा उन्हें मिलने वाला समयबद्ध वेतनमान 09 वर्ष ,14 वर्ष और 19 वर्ष में यथावत मिलता रहेगा | इसी  आधार पर 1996, 2006 और 2016 से वेतन पुनरीक्षण किये गये | उल्लेखनीय है कि 1969 से अबतक ये सभी वेतन पुनरीक्षण राज्य सरकार और कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही मिले हैं | अतः अब शासन के एक विशेष सचिव की ओर से उठाये गये सवाल अप्रासांगिक , अनावश्यक और भड़काने वाले हैं | 

                 उन्होंने बताया कि देश के सभी प्रान्तों में इसी तरह बिजली कर्मियों के वेतनमान शासन से अलग हैं | तेलंगाना में बिजली कर्मियों के वेतनमान प्रति 04 वर्ष में तथा महाराष्ट्र सहित कई प्रांतों में प्रति 05 वर्ष में पुनरीक्षित होते हैं जो शासन से काफी अधिक हैं | उन्होंने चेतावनी दी कि बिजली कर्मियों के वेतनमान और समयबद्ध वेतनमान से कोई छेड़छाड़ की गई तो ऊर्जा निगमों में अनावश्यक तौर पर औद्योगिक अशान्ति उत्पन्न होगी | 

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