उ0प्र0 राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ, अनपरा
सोनभद्र।पावर कारपोरेशन प्रबंधन के कुप्रबंधन, उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में आंदोलन जारी: ऊर्जा विभाग अगर राज्य के अधीन तो कंपनी की तरह मैनेजमेंट क्यूँ ? ऊर्जाकर्मियों का जोखिम और बिना ओवर टाइम के 24 घंटे काम नही दिख रहा है शासन में बैठे अधिकारियों को।बिजली अभियन्ताओं की ज्वलन्त समस्याओं के समाधान न होने एवं पावर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा की जा रही उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में तथा उनके द्वारा फैलाये जा रहे दुष्प्रचार के विरोध में बिजली अभियंताओं ने शाम 4 से 5 बजे के बीच 1 घंटे का अनपरा परियोजना गेट पर कार्यबहिष्कार करके विरोध प्रदर्शन किया।
शासन के सचिव द्वारा जारी एसीपी संबंधी पत्र के विरोध में अभियंताओं में काफी उबाल रहा ।
अभियन्ता संघ अनपरा के क्षेत्रीय सचिव रोहित राय ने कहा कि उर्जाप्रबंधन के कुप्रबंधन की वजह से उर्जाकर्मियों का समय पर प्रोमोशन नही हो पाता है एवं उर्जाकर्मियों का काम काफी चुनौतीपूर्ण रहता है इसी के दृष्टिगत यहाँ अलग एसीपी व्यवस्था लागू की गई थी। उर्जा-प्रबंधन एवं शासन की नीतियों पर सवाल उठाते हुए प्रश्न किया कि सरकार द्वारा वर्ष 2000 में जो उर्जाकर्मियों से समझौता किया था उसका पालन क्यूँ नही किये गए। उर्जाकर्मियों को सरकारी सेवकों की सुविधा जैसे मेडिकल, भत्ते, सर्किट हाउस में रुकने की व्यवस्था क्यूँ नही ? कोरोना में राज्य कर्मचारियों की तरह मुफ्त इलाज की सुविधा क्यों नही ? उत्तर प्रदेश में 2004 के बाद पेन्शन बन्द किये तो बिजली विभाग में सन 2000 से ही बन्द क्यूँ ? वेतन एवं भत्ते के लिए उर्जाकर्मियों के लिए सरकारी कोषागार से व्यवस्था क्यूँ नही ? अगर ऊर्जा विभाग के कर्मी शासन के तो फिर उनके विभाग में कंपनी एक्ट क्यूँ लागू है ? बिजली विभाग के कर्मचारी को सरकारी सेवक की मान्यता क्यों नही प्रदान की गई है? उर्जाविभाग में कंपनी एक्ट क्यूँ है? 20-30 सालों से लंबित भत्तों का पुनरीक्षण क्यूँ नही किया जा रहा ? चतुर्थ श्रेणी की भर्ती बन्द क्यूँ है ? विद्युतकर्मियों को राज्य के कर्मचारियों की तरह कैंटीन सुविधा क्यूँ नही ? दो वर्ष पूर्व जब ऊर्जाकर्मियों का cpf/gpf घोटाला हुआ था तो उसके दोषी नौकरशाहों पर आज तक कार्यवाही क्यूँ नही की गई ? बिजली कार्मिको का अन्य विभाग में संयोजन एवं स्थानांतरण क्यूँ नही किया जाता ?
सभा को संबोधित करते हुए इं मनिन्द्र नाथ ने कहा कि उच्च प्रबंधन के कुप्रबंधन से ऊर्जा विभाग का घाटा बढ़ता जा रहा है। कोयले की कमी के कारण प्रदेश को सस्ती बिजली उपलब्ध करवाने वाली सरकारी तापीय परियोजनाओं को लोड घटाना पड़ रहा है जो कि प्रबंधन की विफलता है।
इं एस पी सिंह ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा अभियन्ताओं को पदोन्नति से वंचित किये जाने के क्रम में पदोन्नति नियमों में रातों-रात प्रतिगामी परिवर्तन कर दिये गये हैं जिन्हें आजतक सार्वजनिक नहीं किया गया है। साथ ही विगत 01 वर्ष से अधिक समय से लम्बित समस्याओं के प्रति प्रबन्धन द्वारा उपेक्षात्मक रवैय्या अपनाते हुए समस्याओं का कोई ठोस निराकरण नहीं किया गया है। इन सबसे सभी बिजली अभियन्ता चिन्तित एवं आक्रोशित है तथा उनके मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है जिससे उनकी कार्यक्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
इं अभिषेक बरनवाल ने माननीय मुख्यमंत्री एवं ऊर्जामंत्री से प्रभावी हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए कहा कि उर्जाप्रबंधन को दिनाँक 19.09.2021 को अभियंता संघ द्वारा दिए गए माँग पत्रों पर सुनवाई करने का निर्देश जारी करे जिससे अभियंताओं में उत्पन्न रोष को खत्म किया जा सके एवं एक बेहतर कार्यसंस्कृति विकसित की जा सके।
सभा का संचालन इं गजानन श्रीवास्तव ने किया।