वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी की रिपोर्ट
-मौत को भी मात दे चुकी है प्रिया
- संघर्षों ने प्रिया के हौसले को फौलादी बनाया
- उ प्र सरकार के रानी लक्ष्मीबाई सम्मान से विभूषित हो चुकी है प्रिया सोनभद्र, चोपन निवासी पर्वतारोही प्रिया इस समय एवरेस्ट चढ़ने की तैयारी कर रही है, जीवन के तमाम झंझावात और मुश्किलें प्रिया के फौलादी इरादों के सामने घुटने टेक चुके हैं। सोनभद्र की वह अकेली लड़की है जिसे रानी लक्ष्मीबाई वीरता सम्मान से विभूषित किया जा चुका है।
प्रिया की कहानी दूसरों को प्रेरणा देने वाली है। परेशानियां जिसके सामने घुटने टेक दें ऐसी लड़की है प्रिया, जिसे 23 वर्ष पूर्व पैदा होते ही किसी ने चोपन में सड़क के किनारे फेंक दिया था मरने के लिए, जिस दम्पप्ति ने प्रिया से अपना किनारा किया था उन्हें सपने में भी भान नहीं था कि आने वाले समय में वह सोनभद्र की लाडली बन जाएगी।
कहते हैं ऊपर वाला जिसे बचाना चाहता है कोई न कोई उपाय जरूर रचता है। चोपन की समाजसेवी माधुरी देवी उस नवजात को घर ले आयीं और सिर्फ लालन पालन नहीं किया बल्कि उसे अपना नाम भी दिया । लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था, समय उसकी और भी कड़ी परीक्षा लेना चाहता था । उसकी अभिभावक , उसकी सबकुछ माधुरी देवी का निधन हो गया ,एक बार फिर प्रिया अकेले हो गयी । स्वतंत्र साहनी उसका मनोबल बढाते रहे, लेकिन प्रिया अपने मन में कुछ बड़ा करने का मन बना चुकी थी ,उसने एवरेस्ट फतह करने का इरादा बना लिया था ।
प्रिया भूखी रहे तो उसे नींद आ जाती थी, लेकिन जो एवरेस्ट फतह करने का ख्वाब उसने पाल लिया था उसे सोने नहीं देता था, परिस्थितियां भी दिनोंदिन बिगड़ती जा रही थीं, अपने सपने को पूरा करने के लिये ट्रेनिंग भी लेनी थी जो चोपन में सम्भव नहीं था, उसने दिल्ली जाने का निर्णय लिया । वहां उसका कोई जानने वाला नहीं था ,न ही कोई रिश्तेदार जो उसे शरण देता,जब वह दिल्ली पहुंची तब उसके पास मात्र 20 रुपये बचे थे , इसके अलावा उसके साथ था उसका एवरेस्ट फतह का सपना जो उसके जीने का आधार बन गया था, वह सोनभद्र के मस्तक पर तिलक लगाना चाहती थी।
परिस्थितियां उसकी रोज परीक्षा ले रही थी, पहले वह पेट भरने की व्यवस्था बनाये यह चुनौती भी उसके सामने विकराल रूप धारण कर चुकी थी । प्रिया ने भी हिम्मत नहीं हारी और धीरे धीरे सामान्य जीवन में लौटने लगी। कुछ सुधी लोगों के सहयोग से उसने देहरादून में पर्वतारोही प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लिया। कुछ और चोटियों पर भी उसने तिरँगा लहराया, लेकिन उसका ख्वाब अभी भी दूर था।
वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उसे रानी लक्ष्मीबाई वीरता सम्मान से नवाजते हुए कहा कि प्रिया एक नजीर बनेगी उन लड़कियों के लिए जो कुछ करना चाहती हैं। अभावों के बीच कैसे बढ़ा जा सकता है यह उदाहरण प्रिया ने प्रस्तुत कर दिया है।
प्रिया को कड़ी और महंगी ट्रेनिंग भी करना है तभी वह एवरेस्ट पर तिरँगा फहरा पाएगी । उसे जनपदवासियों का आशीर्वाद चाहिए ताकि वह अपनी जन्मभूमि का नाम रोशन कर सके।