त्रिमुर्ति प्रेमभाई, धीरेन्द्र मजूमदार, व प्रथम मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पंत के जन्मदिन पर याद किया गया

म्योरपुर/पंकज सिंह

क्षेत्र के हर दिलो में जिंदा है प्रेम भाई ।उनके उद्देश्यों की ओर आगे बढ़े जिसके लिए महा पुरुषों ने जीवन न्योछवार कर दिया। जीवन का साधन जीवन के साध नही। पैसा कैसे भी आये इस विकृत मानसिकता से बचना होगा।अभाव ग्रस्त जीवन मे भी भय्यता है खुशी है। भारत जगत गुरु रहा है आज निहि यह विचार करने का समय है।कमल किचद में खिलता है। उपरोक्त बातें त्रिमूर्ति प्रेमभाई, धीरेन्द्र दा व गोविन्द बल्लभ पन्त जी के जन्मदिन समारोह में कहीं।
ग्राम स्वराज्य के रचनाकार, कर्मयोगी, जमुना लाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित प्रेमभाई का 86वां जन्मदिन, उनके गुरूजी और कार्यकर्ता शिल्पकार धीरेन्द्र दा, और उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री, भारत रत्न, बनवासी सेवा आश्रम के स्थापना के प्रेरणास्रोत रहे गोविन्द बल्लभ पंत जी का जन्मदिन उत्साहपूर्वक सादगीपूर्ण मनाया गया। सुबह सभी ने मिलकर सामूहिक श्रमदान किया। त्रिमूर्तियों को सोनरत्न, सुप्रसिद्ध साहित्यकार व आश्रम अध्यक्ष मा. अजय शेखर जी व अन्य आश्रम सहयोगियों द्धारा माल्यार्पणकर व दीपप्रज्वलन किया। अनुग्रह, प्रदीप सिंह, डा. विभा बहन, आशिष कुमार द्विवेदी वक्ताओं द्वारा महापुरुषों के विचारों, कृतियों व उनके साथ के स्मृतियों को याद किया गया। युवा साथियों ने अपने विचार में कहा बाहर की दुनिया में बनवासी सेवा आश्रम में रहने और शिक्षा प्राप्त करने हमारी अलग पहचान होती है।
बड़ा वह आदमी, जो जिन्दगी भर काम करता है।
बड़ा वह आदमी, जो कृषि भूमि को उर्वरा बनाता है।
बड़ा वह आदमी, जिसमें दुई की भावना न हो।कविता
प्रेमभाई गाते थे, याद किया गया।कार्यक्रम में पूरा आश्रम परिवार शामिल रहा।‌ कार्यक्रम का सफल संचालन शिवशरण भाई ने किया।

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