गुरमा-सोनभद्र(मोहन गुप्ता)- मारकुंडी घाटी के नीचे से लेकर सोन नदी के किनारे के दो दर्जन से अधिक गांव मकरीबारी,गुर्मा, मारकुंडी, केवटा, सलखन, बेलछ, रुदौली, महुआव, रजधन, पईका, गंगटी, करगरा, भभाईच, मितापुर, रेड़िया, बंधवा, कूरुहुल, अदलगंज, बेलकप, पटवध, कनछ, कन्हौरा से लेकर चकरिया आदि पूर्व से घोषित नक्सल गांव जहां पचासों हजार की आबादी है जो राबर्ट्सगंज विद्युत उपकेंद्र से लगायत गुर्मा फीडर के अंतर्गत आता है। इस क्षेत्रों में बिजली की अघोषित कटौती से उपभोक्ताओं में काफी आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि यह क्षेत्र विकास से कोसों दूर है जहां जन प्रतिनिधियों द्वारा इस क्षेत्र की लगातार अनदेखी ही की जाती है वहीं इस क्षेत्र में बिजली कटौती भी आग में घी डालने का लगातार काम लगातार कर रही है जब कि यह क्षेत्र दो विधानसभा क्षेत्र ओबरा व राबर्ट्सगंज के साथ-साथ छपका, चतरा, नगवां, कोन व चोपन जैसे पांच विकास खंडों को अपने में समेटे हुए है। अस्पताल, सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित विकास के नाम पर शुन्य यह क्षेत्र जहां बेरोजगारी और भुखमरी को झेलता ही आ रहा वहीं बिजली कटौती भी इस क्षेत्र के विकास में सबसे बड़ा बाधक है। इस क्षेत्र में आज भी पूरी तरह से विद्युतीकरण नही हो पाया है, जर्जर तार व खंभे के सहारे बिजली सप्लाई राम भरोसे ही चल रही है, शासन के आदेश को ताख पर रखते हुए विभाग के स्थानीय अधिकारी व कर्मचारी अपने मनमानी में ही मस्त रहते हैं। बिजली आपूर्ति का कोई शेड्यूल तय नहीं है कब आपूर्ति है कब कट गई कोई भरोसा नहीं। बिजली आपूर्ति व कटौती के सवाल पर स्थानीय रहवासी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव कामरेड आर के शर्मा ने भी आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों की नाकामी और विभाग की घोर लापरवाही का खामियाजा जनता क्यों भुगतेगी, इस क्षेत्र के विकास में सबसे बड़ा बाधक वन विभाग और विद्युत वितरण विभाग भी है। पिछले वर्ष से ही गुर्मा फीडर के नाम से फाल्सिस पार्क के पास बन रहा सब-स्टेशन आज तक पूरा नहीं हो पाया, इसी तरह चकरिया में भी सब स्टेशन की बात सुनी जा रही है यह कब चालू किया जाएगा विभाग का कोई भी अधिकारी जानकारी नहीं दे पा रहा है, यह फीडर का सबसे बड़ा क्षेत्र है जहां सरकार का दावा है कि अठ्ठारह से बाइस घंटे की बिजली आपूर्ति हो रही है। गुर्मा फीडर तो संविदा कर्मियों के भरोसे ही चल रहा है विभाग के जिम्मेदार कर्मचारियों से कोई उनके मोबाइल फोन पर बात करके तो हमें बताएं उनका फोन स्विच ऑफ ही मिलता है। यदा कदा बात भी हो गई तो वह बिजली आपूर्ति में फाल्ट , ज़फ़र मार दिया, तार ब्रेक हो गया, फ्यूज उड़ गया, काम हो रहा है आप इंतजार करते रहे इस तरह बातें ही सुनने को मिलती हैं, कभी भी इस क्षेत्र को समुचित ढंग से बिजली नहीं मिलती, जिसके लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी गंभीर है। इस जटिल समस्या के समाधान के लिए जल्द ही तमाम गांवों के ग्रामीणों व विद्युत उपभोक्ताओं को लामबंद करते हुए भाकपा के कार्यकर्ता बृहद पैमाने पर आंदोलन करने पर बाध्य होंगे जिसकी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की स्वयं होगी ।