बैंक में कोई भी बिना अवैध वसूली होता नहीं कार्य,वसूली में लगाये गए है बीसी संचालक

अच्छे दिन: यहां बीसी संचालक चला रहे बैंक

: इनकम फॉर्म भरने के लिए 30 रुपये ,केवाईसी के लिए 1000 व पासबुक बनाने के लिए 500 की हो रही अवैध वसूली

अमवार रोड पर स्थित एक बैंक में मैनेजर से ज्यादा दलाल रखते है नागरिकों का हिसाब किताब आदिवासी जनता का कोई नहीं सुना रहा सब बने दलालों के रखैल,अवैध वसूली के हिस्सेदारी को बांट रहेदुद्धी- सोनभद्र(समर जायसवाल)- जनता का शोषण कथित सफेदपोशों के संरक्षण में कितनी बढ़ी है इसकी बानगी आज दुद्धी क़स्बे के अमवार रोड स्थित इंडियन बैंक शाखा के नीचे देखने को मिली ,आदिवासी जनता से इनकम फॉर्म भरने के नाम पर आदिवासी ग्रामीण जनता से 20-30 रुपये की वसूली हो रही है। ग्रामीणों आदिवासियों से कभी केवाईसी के नाम पर 1000 हजार तो नया पासबुक बनवाने के लिए 500 रुपये की वसूली अब दस्तूर बनने को चली है इस कार्य के लिए बैंक प्रबंधन ने बीसी संचालकों को लगा दिया| फार्म भरने के एवज में अवैध वसूली किये जाने के सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुरोध पर जब पड़ताल की गई तो बैंक में पैसा निकालने आयी धोरपा की सविता देवी , बघाडू की राम शरण ,खजूरी के रामशरण, रन्नू के संजय प्रजापति ,दिघुल के राजेन्द्र व छतरपुर के रामचरण ने बताया कि आज बैंक में फॉर्म भरवाया जा रहा था ,बैंक कर्मियों ने बताया कि फॉर्म नीचे भरा जा रहा है यहां आने पर फॉर्म भरने के नाम पर प्रति फॉर्म 20 – 30 रुपये की वसूली हम लोगों से हुई है। स्थानीय ग्रामीणों ने बैंक में किसी भी काम के लिए आये दिन हो रहे वसूली को बन्द किये जाने की मांग को लेकर आवाज उठाई है उधर सूत्रों ने बताया कि अवैध वसुली के काम मे बीसी संचालकों को लगाया गया है जो अपने केंद्र पर भाड़े का आदमी बैठाकर दिन भर बैंक में आए ग्रामीण जनता का शोषण करते है और यह काम बैंक प्रबंधक के नाक के नीचे होता है अब तो लोगों का कहना है कि आम नागरिकों की खाते की जानकारी बैंक प्रबंधक से ज्यादा इन बीसी संचालकों को होती है जो दिन भर बैंक में डाटा भरते रहते है। सूत्र बताते है कि इनके ऊपर ऐसे सफेदपोशों का संरक्षण बराबर बना रहता है जो निजी स्वार्थ में सरकार की लुटिया डुबोने पर पड़े हैं इस संदर्भ में एबीएम चंद्रसेन ने कहा कि अगर बीसी संचालक द्वारा फॉर्म भरने में पैसा लिया जा रहा है तो गलत है।बैंक प्रबंधक ने आरोप को बेबुनियाद बताया है।

Translate »