लखनऊ।साहित्य वीथिका समूह की द्वितीय ऑनलाइन काव्यगोष्ठी बहुत सुचारू रूप से सम्पन्न हुई । काव्यगोष्ठी में भावों की रसाभिषिक्त अभिव्यक्ति की वर्षा ने सभी के मन को मुग्ध कर दिया ।काव्यगोष्ठी का शुभारंभ
माँ शारदे से करबद्ध प्रार्थना करते हुए नित्य नए छंद लिखे नित्य नए गीत लिखे लेखनी को नित्य नई धार मातु दीजिये’की गई
तदोपरान्त जो रस धार प्रवाहित हुई वो लगातार बहती रही।
शशि तिवारी जी का गीत “रूप था न रंग था… “मीनाक्षी शुक्ला जी की भक्तिमय प्रस्तुति
“तुम हुए जब उदित सूर साहित्य के—-“
*कृष्ण के गीत भाषा सुनाने लगी।सुनते ही काव्य प्रेमियों ने कमेंट की झड़ी लगा दी।
वर्षा श्रीवास्तव जी की देशभक्ति से ओतप्रोत रचना- “अपनी मिट्टी की खातिर—“
*कुछ कर जाऊँ या मर जाऊँ
*ईश्वर इतनी शक्ति देना
*वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे* ।’
पथिक रचना जी की कान्हा से विनती
गरिमा जी की कविता’ *मैं तेरी जननी हूँ बेटा ,भारत माँ असली माता है*..
वहीं नमिता जी के गीत ..
*श्याम रंग म़े रंग कर आई, ये सावन की बदरी* ने सबको भिगो दिया
..*अब की सावन, मेरे मन ने, देखा एक सपन है*…
नीरजा जी रचना
*शत्रु के रक्त से ही रँगूं मैं धरा ,जो बढ़े वो यहाँ तो करूँ मैं शमन* !
ने हृदय में जोश भर दिया
अति सुंदर रचनाओं अतिथियों के स्नेह और सभी के सहयोग से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम की अध्यक्षता नामित सुंदर कार्यक्रम संयोजिका मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’ ने की।वही मुख्य अतिथि के रूप में रेखा बोरा एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर रूबी राज सिन्हा मौजूद रही।
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