‘मौलिक कवि दिवस’ के रूप में मने अटल जी की पुण्यतिथि: रचना तिवारी

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज में 16 अगस्त सन 2018 की तिथि एक ऐसे कवि हृदय के लिए याद की जाती रहेगी जिसने सत्ता में रहकर भी अपनी कलम से कभी समझौता नहीं किया। ऐसे कवि हृदय, सरल व्यक्तित्व व कुशल और सफल राजनेता रहे अटल बिहारी बाजपेई को याद किए जाने हेतु एक हस्ताक्षरित दिवस बनाने की अद्भुत पहल देश की सुप्रसिद्ध रचनाधर्मी गीतकार रचना तिवारी ने की,जिसकी जितनी भी सराहना जाए कम है। उनकी इस यादगार मनाने वाली पहल को अंतरराष्ट्रीय जगत के पत्रकारों, साहित्यकारों, समाजसेवियों और कवियों ने जमकर ना सिर्फ सराहना की बल्कि उसे अपना नैतिक समर्थन भी प्रदान किया। गीतकार रचना तिवारी के अनुसार देश के अधिकतर पेशेवर कवि अटल जी के नाम का बैनर लगाकर काव्य पाठ तो खूब करते हैं किंतु उनके व्यक्तित्व और कविता के उसूलों को ज़रा भी नहीं अपनाते। रचना तिवारी की माने तो अटल जी के जीवन की मौलिकता का प्रभाव उनकी रचना धर्मिता पर पूरी तरह था। उनकी कविताएं उनके सहज जीवन का भोगा हुआ सच थीं। मौत से ठानने वाला इंसान आज हमारे बीच नहीं है किन्तु उनकी जीवटता का पर्याय उनकी रचनाएं और उनका कृतित्व विश्व को गर्व की अनुभूति कराता रहता है। कवयित्री रचना यहीं नहीं रुकी बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि जहां पर कविता और कवि सम्मेलन सिर्फ पेशा और रोजगार बन चुके हों, जहां कवि सम्मेलनों को पाने के लिए हर गिरावट को अपनाया जा रहा हो ऐसे में मौलिक कवि दिवस का सृजन करना उनकी और उनके लोगों की दुर्लभ सोच है।
उन्होंने पूर्ण विश्वास के साथ कहा कि ऐसे महामानव की पुण्यतिथि सामान्य नहीं हो सकती इसीलिए इस दिवस को ‘मौलिक कवि दिवस’ के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया। कहां आज देश से लेकर विदेश तक, सोशल मीडिया के हर पटल पर कवि तो बहुत हैं किन्तु मौलिक कुछ ही कवि हैं।’अटल तुम्हारा चरित स्वयं ही रामायण और गीता है,
जिसने जितना जाना वो उतना ही रीता-रीता है’ ।उपरोक्त पंक्तियों के अपने मुखड़े से अटल जी को अपने श्रद्धासुमन समर्पित करने वाली गीतकार रचना तिवारी ने अटल जी की पुण्यतिथि को मौलिक कवि दिवस के रूप में समूचे सोशल मीडिया पर विस्तार देकर लोगों को अचंभित कर दिया जिसे भरपूर सराहना मिली। दिल्ली से प्रोफेसर सुधांशु शुक्ला, वर्जिनिया से साहित्यकार धनन्जय कुमार, बल्गारिया से मोना कौशिक, कोटा से नरेश निर्भीक, राजस्थान डींग से सुरेंद्र सार्थक, इटावा से कमलेश शर्मा, बनारस से अनिल चौबे, औरैया से अजय अंजाम, ग्वालियर से साजन, मेरठ से मनोज कुमार, छतरपुर से अभिराम पाठक, नोयडा से सत्यपाल सत्यम के साथ साथ बहुतेरे बड़े एवं प्रसिद्ध कवि – कवयित्रियों ने इस दिवस को मौलिक कवि दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया। इन बड़े कवियों द्वारा भी मौलिक कवि दिवस का जनजागरण पूरी सामर्थ्य के साथ किया गया।
सोनभद्र के वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने मौलिक कवि दिवस की सराहना की और गीतकार रचना तिवारी को इस नवीन सोच के लिए बधाई दी, सोन साहित्य संगम के संयोजक राकेश शरण मिश्र ने अगले वर्ष से मौलिक कवि दिवस मनाने की घोषणा की। प्रख्यात समाजसेवी केसी जैन, वरिष्ठ शिक्षक एवं पत्रकार भोलानाथ मिश्रा, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत्त शिक्षक एवं साहित्यकार ओमप्रकाश त्रिपाठी, पत्रकार अमरेश चंद्र मिश्रा, एडवोकेट रामानुज धर द्विवेदी , पूर्व प्रधान एवं बीडीसी अमरनाथ सिंह, समाजसेवी संदीप सिंह चंदेल, संतोष पांडेय, दिलीप सिंह, अरुण सिंह, छोटे नेता, पूर्व विधायक तीरथ राज, अलका केसरी, राजेश अग्रहरि, डॉक्टर परमेश्वर दयाल पुष्कर, संजीव श्रीवास्तव, पूर्व प्रधान एवं कवि इकबाल अहमद आदि ने रचना तिवारी के इस नई पहल की सराहना करते हुए इसे एक सार्थक पहल की संज्ञा दी है।

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