सोनभद्र- चंद घण्टो बाद ही सुबह 11 बजे से कलेक्ट्रेट परिसर में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए मतदान शुरू हो जाएगा। सोनभद्र में सपा और एनडीए गठबंधन प्रत्याशी में कड़ी टक्कर होने के कारण दोनों ही पार्टियों को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है। इसको देखते हुए एक तरफ जहां पार्टी के दिग्गजों ने पूरी ताकत झोंक दी है वहीं जगह–जगह बैठक कर एक दूसरे खेमे के लोगों से संपर्क कर जीत के लिए देर रात तक जी–तोड़ कोशिश होती रही । एनडीए गठबंधन में जहां प्रत्याशी चयन के समय से ही खींचतान की दिखी स्थिति ने शीर्ष स्तर तक तनाव की स्थिति पैदा कर दी थी वहीं अब उन्हें यह डर भी सता रहा है कि कहीं यह पार्टी की अंदरूनी खींचतान बाजी हाथ से निकलने की वजह ना बन जाए । इसके लिए अपना दल एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं एमएलसी आशीष पटेल लगातार तीन दिनों से जिले में कैंप कर
सत्ता पक्ष के सभी विधायकों- सांसदों के साथ समन्वय बनाते हुए जीत अपने पाले में करने में लगे हुए हैं । उधर दो दिन पूर्व तक अपनी जीत के लिए आश्वस्त सपा खेमा भी अचानक तेजी से बदलते परिदृश्य व पुलिस के बड़े दबाव और एनडीए गठबंधन के तरफ से मजबूत होती मोर्चाबंदी को देख काफी तनाव में आ गया है । पुलिस का दबाव बढ़ने के साथ ही सपा के कई दिग्गज नेताओं के मोबाइल स्विच्ड ऑफ हो गए । जीत पक्की करने की कवायद में जुटे सपा के दिग्गज भी रणनीति लीक होने के डर से पिछले दो तीन दिनों से अपनी रणनीति लीक होने के डर के कारण पुलिस और सत्ता पक्ष के कद्दावरों की नजर से बचते दिखे । एक दूसरे खेमे के जमावड़े वाले अफसरों की दोनों ही दल की तरफ से चोरी–छिपे निगहबानी होती रही । जहां एक तरफ सत्ता पक्ष की पहुंच से दूर रखे गए जिला पंचायत सदस्यों की तलाश में जहां पुलिस देर रात तक पसीना बहाती रही ,वहीं दूसरी तरफ सपा खेमे की तरफ से अपने समर्थक जिला पंचायत सदस्यों को मतदान के समय तक किसी भी हाल में पुलिस के नजर से बचाए रखने की जुगत की जाती रही । दोनों दलों में सीधी और कड़ी टक्कर ने जिले का सियासी पारा को बढ़ा दिया है फिलहाल यह राजनीतिक उठापटक अभी कुछ घण्टे और चलेगा।
– सोनभद्र की जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर पिछले कई बार से सत्ता पक्ष ही हो रहा काबिज
-सत्ता पक्ष की हनक कहें या जिला पंचायत सदस्यों की सत्ता के साथ रहने की ललक यहां की जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचन प्रक्रिया शुरू होने से अब तक अध्यक्ष की कुर्सी सत्ता पक्ष को ही ज्यादातर रास आती रही है । सोनभद्र के रूप में अलग जनपद सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तत्कालीन सांसद रामप्यारे पनिका की पत्नी बसंती पनिका कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में 1995 में यहां की पहली निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं । उस समय राज्य में बसपा और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी । 2000 में भाजपा की सरकार आई तो भाजपा के देवेंद्र प्रसाद शास्त्री जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए ।2006 में सपा की सरकार रहने के दौरान उसी दल के शिव शंकर घसिया ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर विजय हासिल की । 2011 में बसपा की सरकार रहने के दौरान उसी दल के दिलीप सिंह मौर्य जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए । 2012 में सपा की सरकार आने के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाकर दिलीप को हटा दिया गया । इसके बाद 2013 में हुए चुनाव में सपा की अनीता राकेश जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं । कार्यकाल पूरा होने के बाद 2016 में चुनाव हुआ जिसमें सपा के अनिल यादव को सत्ता पक्ष का लाभ मिला और वह आसानी से जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो गए लेकिन 2017 में भाजपा की सरकार बनते ही अविश्वास प्रस्ताव के चलते उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी । इसके बाद 2018 में हुए उपचुनाव में भाजपा के अमरेश पटेल जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुए और उन्होंने 2021 तक का कार्यकाल पूरा किया। अब एक बार फिर से भाजपा के सत्ता में रहने के दौरान ही चुनाव हो रहा है प्रत्याशी भी एनडीए गठबंधन का है ऐसे में सत्ता पक्ष को कुर्सी मिलने का क्रम बना रहेगा या सपा इस बार इस मिथक को तोड़ देगी ? इसको लेकर चर्चाएं जारी हैं ।