जगह जगह जलभराव से बढी परेशानियां
सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- झमाझम बरसते रहने से सोनांचल में लोगों का जनजीवन प्रभावित हो गया है । मौसम वैज्ञानिकों की माने तो अभी 27 जून तक कमोवेश ऐसी ही बरसात होने की संभावना है। रुक रुक झमझम बरसते मेघ अचानक उमड़- घुमड़ कर गर्जन तड़कन और चमक के साथ सावन के महीने में होने वाली गुजरे जमाने की बरसात की याद दिला दे रहे हैं । बड़े बुजुर्गों की माने तो सन 1960 के दशक तक जब यह क्षेत्र 72 प्रतिशत वनों से आच्छादित था तो सावन में ऐसे ही गरज तड़क चमक के साथ काले कजरारे कभी भूरे बादल झूम झूम के बरसते थे। लेकिन जब से कल कारखाने लगे , कंक्रीट की बस्तियां बसी, प्रदूषण बढ़ा तब से बरसात में तो बरसात इस तरह से नही होती थी । लेकिन इधर न जाने क्यों बे मौसम की बरसात सावन- भादों की बरसात को भी पीछे छोड़ने पर आमादा दिख रही है । किसानों की धान की नर्सरी अधिकांश जगह अभी पड़नी बाकी है। कही – कही बियडा में बिया तैयार तो है लेकिन रोपनी के लिए बरसात से फुर्सत मिले
तब तो रोपाई शुरू हो करैली मिट्टी में बीज रशांव पड़ता है अर्थात सूखे नम खेत मे धान का बीज डाल कर पाटा चलाकर ढंक दिया जाता है फिर बरसात की फुहार से बीज जमता है। करैली मिट्टी वाले किसान परेशान है बिया डालने के लिए बियडा न तो सरहर है न फरहर है। लेवारे बिया डालने वाले धनुषर मिट्टी के काश्तकार मृगड़ाह ( मृगशिरा ) के कारण बीज का लेवार नही किए उन्हें रोहिणी नक्षत्र का इंतजार था । निर्जला एकादशी के बाद साईत सुदेवश के इंतजार में आद्रा नक्षत्र आने की प्रतीक्षा में बीज नही पड़ा और इधर काले मेघ फुर्सत नही दे रहे हैं । खेतिहर मजदूरों के सामने रोजी रोटी की समस्या तो है लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोविड राहत पैकेट से थोड़ी राहत है । इस समय किसानों का काम ठप चल रहा है । छाजन – छोपन , धरन , बडेर , खपड़ा फेरना , छाना , छत ढालना , खेत की जुताई बुआई , बिरवाई , टाटी टेना , घोरानि आदि का काम बरसात से ठप है । डेल कुदारी , डाड़ , मेंड़ , लाठ आदि के काम भी नही हो पा रहे है । किसी का दलान बरसात के पानी से टपक रहा है तो किसी का कोठा चुअना से बैठ रहा है । किसी की मिट्टी की दीवार छहल रही है तो किसी की छान्ह उजड़ गई है। कोई मड़ई नही छा पाया है तो किसी की टाटी उजड़ गई है। हालांकि मौसम सुहाना है। पक्के घरों में रहने वाले पकौड़ी के साथ बरामदे में बैठे बरसते जून माह का जायके के साथ आनद ले रहे हैं । घरों में तरह तरह के पकवान बना कर आनन्द लिया जा रहा है। कुछ पक्के घरों में बरामदे में बच्चे झूले का आनंद भी ले रहे है। जनपद के वन उपवन गुलजार हैं पशु पंक्षी हरियाली में चहक रहे हैं। लेकिन दिहाड़ी पर शहरों में काम करने वाले श्रमिक बरसात के कारण घर से बाहर नही जा पा रहे है। नगर पंचायतों, चट्टियों नगरपालिका परिषद और तमाम ग्राम पंचायतों में जल भराव से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निकाय प्रशासन को ओर से बरसात के पूर्व पानी निकासी के लिए कोई इंतजाम अभी नही किया गया था। जिले के सभी ब्लाकों के अंतर्गत 629 ग्राम पंचायतों के 1800 राजस्व गाँवो में अभी हाल ही में नव निर्वाचित प्रधानों ने कार्यभार संभाला है। इसलिए जल भराव से हो रही परेशानियों का ठीकरा एक दूसरे के सर पर पटका जा रहा है पानी निकासी की बद इन्तज़ामी के लिए निवर्तमान प्रधान पल्ला झाड़ रहे है तो नए प्रधान पूर्व प्रधान को जिम्मेवार ठहरा कर मौन साध ले रहे है ।
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