सांझी संस्कृति से जुडा़ है हिंदी साहित्य का अस्तित्व: डॉ. हरिसिंह पाल
सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- भारत भूमि पूण्य भूमि हैंं यहां हिंदी साहित्य का अस्तित्व सांझी संस्कृति से जुडा़ है। इस आशय प्रतिपादन नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ.हरिसिंह पाल ने विश्व स्तर की सुप्रतिष्ठित हिंदी सेवी संस्था विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज के तीन दिवसीय रजत महोत्सव के द्वितीय दिवस पर “हिंदी साहित्य मे व्यक्त सांझी संस्कृति ” मेआयोजित परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में कहीं। संस्थान के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ.शहाबुद्दीन नियाज़ मुहम्मद शेख ने समारोह की अध्यक्षता की। डॉ. हरिसिंह पाल ने आगे कहा कि साहित्य कभी भी धर्म,जाति,पंथ पर अवलंबित नहीं होता है वही भारतीय संस्कृति में विश्व की संस्कृतियों का मिलन पाये जाने की भी बात कही। डॉ.हरेराम बाजपेयी अध्यक्ष हिंदी परिवार इंदौर ने कहा कि संस्कृतियों का अनुपम श्रृंगार हिंदी में उपलब्ध है। हिंदी साहित्य के इतिहास के भक्ति काल व रीतिकाल पर दृष्टिपात करने के पश्चात प्रतीत होता है कि हिंदी साहित्य में गंगा जमुनी संस्कृति का अद्भुत से ग्रहण शीलता हिंदी की सबसे बड़ी विशेषता है। डॉ रामनिवास साहू बिलासपुर ,छत्तीसगढ़ ने कहा कि सांझी संस्कृति में सर्व संभावनाओं का दर्शन होता है। हिंदी साहित्य में सांझी संस्कृति वास्तव में शोध का विषय है ,जिसे उन्होंने सोदाहरण समझाया। समारोह की अध्यक्षता कर रहे संस्थान के अध्यक्ष प्राचार्य डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख ने कहा कि हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसमें सभी भारतीय भाषाओं के शब्दों को आत्मसात करने की अद्भुत शक्ति विद्यमान है ।
इस अवसर पर काव्य पाठ में मुख्य अतिथि डॉक्टर मीरा सिंह ‘अमेरिका’ तथा विशिष्ट अतिथि इंदु बैरठ, ‘ब्रिटेन’ ने अपनी कविताओं के माध्यम से काव्य पाठ किया तत्पश्चात डॉक्टर संगीता पाल,’गुजरात’ ,आचार्य अनमोल ‘दिल्ली’ , अनुपमा प्रधान, ‘मेघालय’ , गायत्री चौधरी, ‘उड़ीसा’ , प्रियंका गावित ‘महाराष्ट्र’, कंचन शेंदुर्णीकर ‘मध्य प्रदेश’ ,प्रेम तन्मय’राजस्थान’ ,डॉक्टर शीना इप्पन ‘केरल’, शकुंतला तरार, ‘छत्तीसगढ़’ ,राज टेकड़ीवाल ‘कर्नाटक’ ने अपनी सुंदर कविताओं की प्रस्तुती कर लोगों को सराबोर कर दिया। वही प्रीति राही, ‘कर्नाटक’ ने अवधी भाषा के दो गीत प्रस्तुत करके सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह का आरंभ इंदौर, मध्य प्रदेश की अवनी की सरस्वती वंदना प्रस्तुति से हुआ स्वागत उद्बोधन प्रोफ़ेसर लता चौहान बेंगलुरु ,कर्नाटक ने किया। पुष्पा शैली श्रीवास्तव ने प्रस्तावना की । संस्थान के सचिव डॉक्टर गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। दिवस प्रमुख डॉक्टर पूर्णिमा झेंडे,नासिक ,महाराष्ट्र ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। छत्तीसगढ़ इकाई की हिंदी सांसद डॉक्टर मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने समारोह का सफल संचालन किया और रमाकांत प्रसाद ने तकनीकी सेवाएं प्रदान की। समारोह की सफलता में डॉक्टर अनुसूया अग्रवाल ,डॉक्टर रजिया शहनाज शेख ,डॉ सुनीता प्रेम यादव ,डॉ रश्मि चौबे ,डॉक्टर मुक्ता कान्हा कौशिक, प्रोफेसर लता चौहान समारोह को सुंदर और सफल बनाने में विशेष प्रयत्न किये।
इस भव्य आयोजन में दर्शक के रूप में ओम प्रकाश त्रिपाठी,डॉ राजश्री तिरविर, डॉ विनय कुमार पाठक,नरेंद्र भूषण, मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ,उषा किरण, प्रोफ़ेसर महमूद पटेल,डॉक्टर मेदिनी अंजनीकर ,डॉ वंदना अग्निहोत्री,डॉ सीमा वर्मा, ज्योति जैन ,डॉ जेबा रशीद, डॉ पूर्णिमा मालवीय, डॉक्टर बेबी कोलते ,डॉक्टर सुमन अग्रवाल ,डॉ वंदना श्रीवास्तव ,डॉक्टर समीर सैयद , कान्हा कौशिक सहित लगभग पांच सौ प्रतिनिधियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर समारोह को सफल बनाने और हिंदी को मजबूत करने का भरपूर प्रयास किया।