गुरमा-सोनभद्र(मोहन गुप्ता)- सूबे में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर जहां हर किसी में सरगर्मी देखने को मिल रहा है, पंचायत चुनाव को लेकर प्रतिदिन शासन द्वारा नये नये बदलाव व फरमान को लेकर आम जनमानस में उत्सुकता भी बढ़ती जा रही है । वहीं पंचायत चुनाव में भागीदारी करने वाली महिला प्रत्याशियों के लिए आरक्षित सीट पर जाति प्रमाण पत्र को लेकर काफी संशय और सवाल भी पैदा हो रहा कि ससुराल का जाति प्रमाण पत्र नहीं मायके का जाति प्रमाण पत्र ही मान्य होगा। इस सवाल को
लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव कामरेड आर के शर्मा ने उठाते हुए कहा कि विगत 6 मार्च को सहायक निर्वाचन अधिकारी के हवाले से समाचार पत्र में प्रकाशित खबर रहा कि इस बार होने वाले पंचायत चुनाव में महिला प्रत्याशियों के लिए ससुराल का जाति प्रमाण पत्र नहीं मान्य होगा, आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने वाली महिला उम्मीदवारों को मायके का जाति प्रमाण पत्र नामांकन के दौरान जमा करना होगा। इस तरह का बयान लोगों के लिए उलझन पैदा कर रहा है। भाकपा के जिला सचिव ने कहा कि शासन/प्रशासन और पंचायत चुनाव से संबंधित अधिकारी को स्पष्ट करना चाहिए कि यह अति आवश्यक है या किन किन परिस्थितियों में आवश्यक है और इसका विकल्प क्या है।
कामरेड आर के शर्मा ने सवाल उठाया कि जनपद सोनभद्र में अधिकांश लोग अन्य जिलों व प्रांतों से आकर यहां कई वर्षों से बसे हुए हैं और भिन्न भिन्न कार्यो में लग कर जिविकोपार्जन कर रहे हैं और पंचायत स्तर पर भागीदारी भी कर रहे हैं ,अगर महिला प्रत्याशियों की बात करें तो चुनाव में कम उम्र से लेकर अधेड़ उम्र तक की महिलाएं भी भागीदारी करती हैं, अगर अधेड़ उम्र की महिला के उसके मायके में मां-बाप या परिजन अब नहीं है तो वह किस आधार पर वहां का जाति प्रमाण पत्र बनवा कर दे पाएगी, आनलाइन के जमाने में टेढ़ी खीर ही है। या इन महिलाओं के जाति प्रमाण पत्र के लिए विकल्प क्या क्या है या चुनाव के मद्देनजर इस संदर्भ में अगर कोई अलग से काउंटर की व्यवस्था हो तो शासन को स्पष्ट करना चाहिए।