अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के पूर्ब सन्ध्या पर महिलाओं के विचार

समाज सेवी नगीना देवी ने कहा वर्तमान में महिला को अबला नारी मानना गलत है।

सोनभद्र।राष्ट्र की प्रगति व सामाजिक स्वतंत्रता में शिक्षित महिलाओं की भूमिका उतनी ही अहम् है जितनी कि पुरुषों की और इतिहास इस बात का प्रमाण है कि जब-जब नारी ने आगे बढ़कर अपनी बात सही तरीके से रखी है, समाज और राष्ट्र ने उसे पूरा सम्मान दिया है और आज की नारी भी अपने भीतर की शक्ति को सही दिशा निर्देश दे रही है।उक्त आशय की जानकारी समाज सेवी नगीना देवी ने दी। यही कारण है कि वर्तमान में महिलाओं की प्रस्थिति एवं उनके अधिकारों में वृद्धि स्पष्ट देखी जा सकती है। आज समाज में लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से भी लोगों की सोच में बहुत भारी बदलाव आया है। अधिकारिक तौर पर भी अब नारी को पुरुष से कमतर नहीं आका जाता। यही कारण है कि महिलाएं पहले से अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर हुई है। जीवन के हर क्षेत्र में वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मजबूती से खड़ी हैं और आत्मबल, आत्मविश्वास एवं स्वावलंबन से अपनी सभी जिम्मेदारी निभाती है। वर्तमान में महिला को अबला नारी मानना गलत है। आज की नारी पढ लिखकर स्वतंत्र है अपने अधिकारों के प्रति सजग भी है। आज की नारी स्वयं अपना निर्णय लेती है।

पत्रकार सुमन द्विवेदी का कहना है कि आज की महिलाएं हर मामले में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र हैं और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। हमें महिलाओं का सम्मान जेंडर के कारण नहीं, बल्कि स्वयं की पहचान के लिए करना होगा। हमें यह स्वीकार करना होगा कि घर और समाज की बेहतरी के लिए पुरुष और महिला दोनों समान रूप से योगदान करते हैं। नव जीवन को धरती पर लाने वाली महिला है। हर महिला विशेष होती है, चाहे वह घर पर हो या ऑफिस में।

वह अपने आस-पास की दुनिया में बदलाव ला रही हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों की परवरिश और घर बनाने में एक प्रमुख भूमिका भी निभाती है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस महिला की सराहना करें और उसका सम्मान करें जो अपने जीवन में सफलता हासिल कर रही हैं और अन्य महिलाओं और अपने आस-पास के लोगों के जीवन में सफलता ला रही हैं।
मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो ना संसाधनों की कमी खलती है और ना ही रुकावटें आड़े आती हैं। जरूरत सिर्फ अपने आत्मबल को पहचानने की है, अपने आसमान की ओर कदम बढ़ाने की है, जिससे हिम्मत के पंख फैलाकर उड़ान भरी जा सके। हाल ही में भारतीय वायु सेना की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी ने ऐसा ही कर दिखाया है। एक सामान्य मध्य वर्गीय परिवार से संबंध रखने वाली इस बेटी ने मिग-21 फाइटर प्लेन उड़ाकर इतिहास रचा है। पिछले दिनों विश्व कप जिमनास्टिक्स प्रतियोगिता में अरुणा बी. रेड्डी व्यक्तिगत पदक जीतने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट बनीं।

कुशल गृहिणी सावित्री यादव का कहना है कि आज की नारी जागृत एवं सक्रिय हो चुकी है । वह अपनी शक्तियों को पहचानने लगी है जिससे आधुनिक नारी का वर्चस्व बढ़ा है । व्यापार और व्यवसाय जैसे पुरुष एकाधिकार के क्षेत्र में जिस प्रकार उसने कदम रखा है और जिस सूझ – बूझ एवं कुशलता का परिचय दिया है, वह अद्भुत है । बाजार में नारियों की भागीदारी बढ़ती जा रही है । तकनीकी एवं इंजीनियरिंग जैसे पेचीदा विषयों में उसका दखल देखते ही बनता है | वर्तमान स्थिति में नारी ने जो साहस का परिचय दिया है, वह आश्चयर्यजनक है | आज नारी की भागीदारी के बिना कोई भी काम पूर्ण नहीं माना जा रहा है । समाज के हर क्षेत्र में उसका परोक्ष – अपरोक्ष रूप से प्रवेश हो चुका है। हालांकि, अब भी महिलाओं को पूरी तरह से समानता प्राप्त करने में मीलों का सफर तय करना है।

पत्रकार सपना तिवारी का मानना है आजादी के 70 साल बाद भी देश में एक बड़ी संख्या में लड़कियां और बच्चियां अपनी शिक्षा को पूरा नहीं कर पाती हैं और गरीबी या पारिवारिक समस्या की वजह से छोटी उम्र में ही स्कूल छोड़ने को मजबूर होती है। अशिक्षित होने की वजह अधिकांश महिलाएं अपने जीवन स्तर में सुधार करने में खुद को असमर्थ महसूस करती हैं। वैसे तो सरकारों ने महिला शिक्षा और छोटी बच्चियों की पढ़ाई पूरी करवाने के लिए कई सारी योजनाओं को शुरू किया है। लेकिन फिर भी अभी भी ये प्रयास ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही प्रतीत होते हैं।

आज की महिला निर्भर नहीं हैं। वह हर मामले में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र हैं और पुरुषों के बराबर सब कुछ करने में सक्षम भी हैं। हमें महिलाओं का सम्मान जेंडर के कारण नहीं, बल्कि स्वयं की पहचान के लिए करना होगा। हमें यह स्वीकार करना होगा कि घर और समाज की बेहतरी के लिए पुरुष और महिला दोनों समान रूप से योगदान करते हैं। यह जीवन को लाने वाली महिला है। हर महिला विशेष होती है, चाहे वह घर पर हो या ऑफिस में। वह अपने आस-पास की दुनिया में बदलाव ला रही हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों की परवरिश और घर बनाने में एक प्रमुख भूमिका भी निभाती है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस महिला की सराहना करें और उसका सम्मान करें जो अपने जीवन में सफलता हासिल कर रही हैं और अन्य महिलाओं और अपने आस-पास के लोगों के जीवन में सफलता ला रही हैं।

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