प्रकृति और मनुष्य का शोषण किये बिना दोनों का विकास हो

किसान सबसे बड़ा हुनरमंद और वैज्ञानिक

म्योरपुर/पंकज सिंह

किसानों सबसे बड़े वैज्ञानिक और हुन्नरमन्द है।वह तमाम परिस्थियों से जूझ कर जमीन को खेती लायक बनाता है और नए नए प्रयोग करता है।उक्त बातें प्रख्यात पर्यावरण विद् और लोक विज्ञान संस्थान देहरादून के पूर्व निदेशक रवि चोपड़ा ने सुक्रवार को आश्रम के कार्यकर्ताओं और मनरेगा के विशेष विशेषज्ञयो को ऑनलाइन मीटिंग को संबोधित करते हुए कही ।उन्होंने कहा कि आज जो परिभाषा गढ़ी गयी है कि धनी आदमी ही सफल है चाहे वह शोषण कर के ही आगे क्यों न बढ़ा हो।विकास वह है जो प्रकृति और मनुष्य का शोषण किये बिना दोनों का विकास करे। श्री चोपड़ा ने कहा कि किसान तो अनपढ़ है या उंन्हे कुछ नही आता यह सोच बदलनी होगी ।किसान जानकार और पर्यावरण संरक्षक है। कहा कि आज दुनिया के बहुत सारे देश धन के मामले में भारत के बराबर है लेकिन चिकित्सा और विज्ञान में पीछे है ।हमारे देश मे पर्यावरण और जल संरक्षण का विज्ञान मोहन जोदड़ो की सभ्यता से पहले की है ।लोग पहाड़ो पर सफल जल प्रबंधन करते थे। और ।मजे में रहते थे।उंन्हे शुद्ध पेय जल,नदियों पहाड़ो के संरक्षण की चिंता थी। लेकिन आज दोहन को ही विकास मान लिया गया है।यह सोच बदलनी होगी।गांव का विकास का आधार भी इसी सोच से होना चाहिए।जिससे गांव की मिट्टी जल जंगल सुरक्षित रहे। मौके शुभा बहन,देवनाथ जगतनारायण विश्वकर्मा भाई ,घरभरन गुप्ता,अमित,विजेंद्र सिंह आशीष दुबे, कुँवर बहादुर सिंह अजित सिंह,दीपांकर सिंह,केवला दुबे,उमेश चौबे आदि रहे।

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