स्वास्थ्य डेस्क। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से रसोई में स्वास्थ्य
नमक केवल सेन्धा प्रयोग करें। थायराइड, बी पी, पेट ठीक होगा।
कुकर स्टील का ही काम में लें। एल्युमिनियम में मिले lead से होने वाले नुकसानों से बचेंगे।
तेल कोई भी रिफाइंड न खाकर, केवल तिल्ली, सरसों, मूंगफली, नारियल प्रयोग करें। रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं।
सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निक।ल कर ही प्रयोग करें।
रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें।
काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी।
देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता।
ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।
ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।
भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा।
भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।
नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें। पोषक विटामिन, फाइबर मिलेंगें।
सुबह के खाने के साथ ताजा दही लें, पेट ठीक रहेगा।
चीनी कम से कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी।
चीनी की जगह बिना मस।ले का गुड़ या देशी शक्कर लें।
छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते।
चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे।
डस्ट बिन एक रसोई में एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें।
रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें।
करेले, मैथी, मूली याने कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा।
पानी मटके वाले से ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे।
रसोई में घुसते ही थोड़े ड्राई फ्रूट (काजू की जगह तरबूज के बीज) खायें, एनर्जी बनी रहेगी।
प्लास्टिक, एल्युमिनियम रसोई से हटाये, केन्सर कारक हैं।
माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग केन्सर कारक है।
खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं।
बाहर का खाना बहुत हानिकारक है, खाने से सम्बंधित ग्रुप से जुड़कर सब घर पर ही बनाएं।
तली चीजें छोड़ें, वजन, पेट, एसिडिटी ठीक रहेंगी।
मैदा, बेसन, छौले, राजमां, उड़द कम खाएँ, गैस की समस्या से बचेंगे।
अदरक, अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं, गैस और शरीर के दर्द कम होंगे।
बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है।
पानी का फिल्टर R O वाला नहीं, हानिकारक है। U V वाला ही प्रयोग करें, सस्ता भी और बढ़िया भी।
रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं, इस प्रकार के ग्रुप से जानकारी लें।
रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें, सुबह कपड़े से छान कर eye wash cup में डाल कर आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छान कर जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें। रात को पी जाएं। पेट साफ होगा, कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा।
सुबह रसोई में चप्पल न पहनें, शुद्धता भी, एक्यू प्रेशर भी।
रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं, एसिडिटी खतम।
एक्यू प्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारी शरीर से निकल जायेगी।
चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी।
रसोई के मसालों से बना चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है।
सर्दियों में नाखून बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा।
सर्दी में बाहर जाते समय, 2 चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए, सर्दी से नुकसान नहीं होगा।
रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रखकर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा।
कभी कभी नमक में, हल्दी में 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें, दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता।
बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा।
सुबह के खाने के साथ घर का जमाया ताजा दही जरूर शामिल करें, प्रोबायोटिक है।
सूरज डूबने के बाद दही या दही से बनी कोई चीज न खाएं, ज्यादा उम्र में दमा हो सकता है।
दहीबड़े सिर्फ मूंग की दाल के बनने चहिये, उड़द के नुकसान करते हैं।