जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से शिवलिंग क्या है, कैसे हुई भगवान शिव की उत्पत्ति, जानें

धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से शिवलिंग क्या है, कैसे हुई भगवान शिव की उत्पत्ति, जानें

: शिव जी को स्वयंभू माना गया है, यानी कि उनका जन्म नहीं हुआ और वो अनादिकाल से सृष्टि में हैं। लेकिन उनकी उत्पत्ति को लेकर अलग-अलग कथाएं सुनने को मिलती है। जैसे पुराणों के अनुसार शिव जी भगवान विष्णु के तेज से उत्पन्न हुए हैं जिस वजह से महादेव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं।

भगवान शिव।

: हिंदू धर्म में सबसे पूज्य देवी देवताओं में से एक हैं भगवान शिव। देवों के देव महादेव लोगों के दुखों के संहारकर्ता भगवान शिव की पूजा मूर्ति एवं शिवलिंग दोनों ही रूपों में की जाती है। इस सृष्टि के स्वामी शिव को भक्त महादेव, भोलेनाथ, शिव शंभू जैसे कई नामों से पुकारते हैं। सावन मास भगवान शिव का पसंदीदा महीना है इसलिए इस पूरे महीने शिवभक्त उनकी अराधना करने में लीन रहते हैं।

सावन महीने के इस भक्तिमय माहौल में हम आपको बताएंगे शिव जी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां…

शिवलिंग क्या है:

हिंदू धर्म में शिवलिंग पूजन को बहुत ही अहम माना जाता है। ‘शिव’ का अर्थ है – ‘कल्याणकारी’। ‘लिंग’ का अर्थ है – ‘सृजन’। शिवलिंग दो प्रकार के होते हैं- पहला उल्कापिंड के जैसे काला अंडाकार जिसे ज्योतिर्लिंग भी कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार, लिंग एक विशाल लौकिक अंडाशय है जिसका अर्थ है ब्रह्माण्ड , इसे पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। जहां ‘पुरुष’ और ‘प्रकृति’ का जन्म हुआ है। तो वहीं दूसरा शिवलिंग इंसान द्वारा पारे से बनाया गया पारद शिवलिंग होता है।

शिव की उत्पत्ति कैसे हुई:

शिव जी को स्वयंभू माना गया है, यानी कि उनका जन्म नहीं हुआ और वो अनादिकाल से सृष्टि में हैं। लेकिन उनकी उत्पत्ति को लेकर अलग-अलग कथाएं सुनने को मिलती है। जैसे पुराणों के अनुसार शिव जी भगवान विष्णु के तेज से उत्पन्न हुए हैं जिस वजह से महादेव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं। वहीं, श्रीमद् भागवत के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा अहंकार के वश में आकर अपने आप को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ रहे थे तब एक जलते हुए खंभे से भगवान शिव प्रकट हुए। विष्णु पुराण में शिव के वर्णन में लिखा है कि एक बच्चे की जरूरत होने के कारण ब्रह्माजी ने तपस्या की जिसकी वजह से अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए।

शिव ग्रंथ की अहमियत:

भगवान शिव से जुड़े बहुत सारे ग्रंथ लिखे गए हैं जिनमें उनके जीवन चरित्र, रहन-सहन, विवाह और उनके परिवार के बारे में बताया गया है। लेकिन उन सब में से महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखे गए शिव-पुराण को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इस ग्रंथ में भगवान शिव की भक्ति महिमा और उनके अवतारों के बारे में विस्तार से बताया गया है। माना जाता है कि शिवपुराण को पढ़ने और सुनने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शिव पुराण में प्रमुख रूप से शिव-भक्ति और शिव-महिमा का प्रचार-प्रसार किया गया है।

शिव ज्योतिर्लिंग(shiva jyotirling)

: शिव ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई इस संबंध में अनेकों कहानियां और कथाएं प्रचलित हैं। शिवपुराण के मुताबिक मन, चित्त, ब्रह्म, माया, जीव, बुद्धि, घमंड, आसमान, वायु, आग, पानी और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है। शिव के कुल बारह ज्योतिर्लिंग हैं जो देश के अलग-अलग कोनों में स्थित हैं। ये 12 ज्योतिर्लिंग हैं- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वरम, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर।

भगवान शिव के प्रमुख नाम (Lord shiva names): कोई भोलेनाथ तो कोई शंकर, कोई देवों के देव महादेव तो कोई शम्भू। शिव को इस दुनिया में लोग अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। यहां जानिए भगवान शिव के और कौन से नाम प्रसिद्ध हैं…

  1. शंकर- सबका कल्याण करने वाले
  2. विष्णुवल्लभ- भगवान विष्णु के अतिप्रेमी
  3. . त्रिलोकेश- तीनों लोकों के स्वामी
  4. कपाली- कपाल धारण करने वाले
  5. कृपानिधि – करूणा की खान
  6. नटराज- तांडव नृत्य के प्रेमी शिव को नटराज भी कहते हैं।
  7. वृषभारूढ़- बैल की सवारी वाले
  8. रुद्र- भक्तों के दुख का नाश करने वाले
  9. अर्धनारीश्वर- शिव और शक्ति के मिलन से ही ये नाम प्रचलित हुआ।
  10. भूतपति – भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी
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